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Jun 22, 2010

यथास्थिति बनाए रखने का आदेश

छग ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन रायपुर के पदाधिकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। एसोसिएशन के पदाधिकारी हीरानंद व अमर पंजवानी के खिलाफ आर्थिक अनियमितता की शिकायत रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसाइटी से की गई थी। रजिस्ट्रार ने इस पर जांच के निर्देश दिए थे। रजिस्ट्रार के आदेश को पदाधिकारियों ने अपीलीय अधिकरण के यहां चुनौती दी थी, जहां अपील खारिज कर दी गई थी। इसे पदाधिकारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की सिंगल बेंच में हुई। उन्होंने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।

Jun 18, 2010

विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के साथ मारपीट का मामला

प्रोफेसर के साथ मारपीट करने के आरोप में कॉलेज से निलंबित छात्र क्रेग मैक्लाउड प्रकरण में बिलासपुर हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को एक सप्ताह के अंदर अंतिम निर्णय लेने तथा इससे हाईकोर्ट को अवगत कराने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट को सूचित किए जाने के दूसरे दिन मामले में पुनः सुनवाई होगी। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के साथ मारपीट करने के मामले में छात्र क्रेग को प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने २ फरवरी २०१० में कॉलेज से बर्खास्त करने अनुशंसा की थी।

३ फरवरी को विश्वविद्यालय ने छात्र को निलंबित कर उसके परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद उसे ४ फरवरी को क्यों न आपको निलंबित किया जाए, कहकर कारण बताओ नोटिस दिया गया। इस कार्रवाई के विरोध में उसने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई। इसमें कहा गया कि उसे सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। कार्रवाई करने के बाद कारण बताओ नोटिस दिया गया है। याचिका पर १७ फरवरी को प्रारंभिक सुनवाई हुई थी। इसमें हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। प्रकरण में जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की एकलपीठ में पुनः सुनवाई हुई।

उन्होंने मामले में विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता छात्र क्रेग के मामले में एक सप्ताह के अंदर अंतिम निर्णय लेने तथा इससे हाईकोर्ट को अवगत कराने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट को अवगत कराने के दूसरे दिन प्रकरण में पुनः सुनवाई होगी।

May 10, 2010

एसईसीएल सीएमडी को नोटिस

एफए अंसारी की वर्ष १९८३ में एसईसीएल के चिरमिरी स्थित अस्पताल में कंपाउंडर के पद पर नियुक्ति हुई। एसईसीएल प्रबंधन ने वर्ष १९९४ में एक सकुर्लर जारी कर कंपाउंडरों को फार्मासिस्ट वर्ग-सी बनाया। १९९९ में वरिष्ठता सूची जारी की गई। इसमें अंसारी २६वें क्रम पर था।

२७ वर्ष की सेवा में उसे एक भी प्रमोशन नहीं दिया गया। उसने विभाग में अभ्यावेदन देकर प्रमोशन देने की मांग की। वहां कोई कार्रवाई नहीं होने पर अधिवक्ता सलीम काजी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इसमें कहा गया कि एसईसीएल कर्मियों की सेवा-शर्तें नेशनल कोलवेज एग्रीमेंट के तहत हैं। इसकी कंडिका २, ११, १ के अनुसार कर्मचारी को प्रति ८ वर्ष की सेवा में एक प्रमोशन या वेतनवृद्धि का लाभ दिया जाना चाहिए। इसी प्रकार कंडिका १२, ८, ० (ब) में ३० वर्ष की सेवा में एक प्रमोशन दिया जाना चाहिए। इसके बाद भी याचिकाकर्ता को प्रमोशन नहीं दिया जा रहा है। याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने एसईसीएल के सीएमडी, डायरेक्टर पर्सनल, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी सहित अन्य को नोटिस जारी किया है।

शिक्षकों को दो वेतनवृद्धि देने का आदेश

स्वयं के व्यय पर बीएड व बीटीआई करने वाले शिक्षकों को बिलासपुर हाईकोर्ट ने दो वेतनवृद्धि देने का आदेश दिया है। शिक्षा विभाग गरियाबंद में गरियाबंद निवासी बद्रीप्रसाद देवांगन की नियुक्ति १९८२ एलडीटी के पद पर हुई। इसी प्रकार घनश्याम साहू की ६ जुलाई १९९५ में यूटीडी के पद पर भर्ती हुई। श्री देवांगन ने नियुक्ति से पहले वर्ष १९८१ में स्वयं के व्यय पर बीएड की डिग्री ली थी। घनश्याम साहू ने १९९१ में बीटीआई का प्रशिक्षण लिया था। प्रमोशन देकर दोनों को व्याख्याता बनाया गया। शासन ने २४ फरवरी १९९८ में सकुर्लर जारी कर स्वयं के व्यय पर बीएड, बीटीआई करने वालों को इंक्रीमेंट देने का आदेश जारी किया। इस आदेश के बाद भी दोनों को वेतनवृद्धि का लाभ नहीं दिया गया। इस पर उन्होंने अधिवक्ता जमील अख्तर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका पेश की। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सतीश कुमार अग्निहोत्री ने इंक्रीमेंट देने का आदेश दिया है।बिलासपुर। २७ साल की सेवा में एक भी प्रमोशन नहीं मिलने पर एसईसीएल के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जस्टिस सतीश कुमार अग्निहोत्री ने याचिका को स्वीकार कर  नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

आरक्षक भर्ती के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित

प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को नियुक्ति देने के बजाय आरक्षकों की नई भर्ती प्रकिया शुरू करने के मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।

व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने वर्ष २००८ में प्रदेश में आरक्षकों के रिक्त पदों के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसमें दुष्यंत कुमार सोनवानी का नाम प्रतीक्षा सूची में शामिल था। प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को अवसर देने के बजाय रिक्त पदों के लिए दूसरी बार नया विज्ञापन प्रकाशित करा दिया गया। इस पर दुष्यंत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि प्रतीक्षा सूची वाले उम्मीदवारों को भर्ती करने के बाद बचे हुए पदों के लिए नई भर्ती प्रकिया शुरू की जानी चाहिए। इस पर हाईकोर्ट में जस्टिस सतीश कुमार अग्निहोत्री की एकलपीठ में सुनवाई हुई। व्यापमं व शासन सहित दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

Apr 18, 2010

देना बैंक प्रबंधन ने मांगा जवाब

कैशियर को गबन के आरोप में सेवामुक्त करने के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने देना बैंक छत्तीसगढ की महासमुंद शाखा के प्रबंधक सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जानकारी के अनुसार दैना बैंक की महासमुंद शाखा में कैशियर सीताराम बेहड़ा ने २४ फरवरी २००४ को बैंक में अधिक भीड़ होने के कारण भूलवश एक ग्राहक को एक लाख २० हजार रुपए अतिरिक्त भुगतान कर दिया था। शाम को हिसाब करने के दौरान उन्हें इसकी जानकारी हुई। श्री बेहड़ा ने तुरंत शाखा प्रबंधक को सूचना दी। दूसरे दिन उन्होंने रुपए का प्रबंध कर शाखा प्रबंधक को दिया। इसके बाद अतिरिक्त रकम ले जाने वाले ग्राहक की तलाश कर उन्होंने रुपए वापस ले लिए। बावजूद इसके शाखा प्रबंधक ने उन्हें निलंबित कर विभागीय जांच कराई। मामले की रिपोर्ट थाने में भी दर्ज कराई गई। इस प्रकार कर्मचारी के खिलाफ दोहरी कार्रवाई चलने लगी। उन्होंने बैंक के उच्चाधिकारियों से निलंबन की कार्रवाई पर रोक लगाकर नौकरी में पुनः वापस लेने की अपील की, लेकिन उनके आवेदन पर कार्रवाई नहीं हुई।

समिति ने जांच पूर्ण कर उसे बर्खास्त करने की अनुशंसा की। इसके बाद वर्ष २००५ में उसे बर्खास्त कर दिया गया। मामले की अपील करने पर बर्खास्तगी के आदेश को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदल दिया गया। प्रबंधन की इस कार्रवाई के खिलाफ उन्होंने अधिवक्ता जितेंद्र पाली, मतीन सिद्दकी व वरुण शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा है कि यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ पुलिस तथा विभागीय कार्रवाई एक साथ चल रही हो तो सामान्यता विभागीय कार्रवाई रोकी जानी चाहिए। यदि न्यायालयीन आदेश आने में देरी होने की संभावना हो तो विभागीय कार्रवाई को उस स्तर तक पूर्ण करना चाहिए कि कर्मचारी न्यायालय से बरी हो तो उसे तत्काल काम पर वापस लिया जा सके।

इसी तरह यदि वह दोषी पाया जाता है तो कर्मचारी से तत्काल मुक्ति पाई जा सके। देना बैंक प्रबंधन ने इस विधिक सिद्धांत की अनदेखी कर कर्मचारी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई की है। मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की एकलपीठ में हुई। याचिकाकार्ता का तर्क सुनने के बाद जस्टिस अग्निहोत्री ने देना बैंक के शाखा प्रबंधक सहित सभी अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Apr 15, 2010

मुआवजा के मामले में बिना गवाही सुनवाई नहीं

मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि मुआवजे से संबंधित मामले में बिना साक्ष्य के सुनवाई नहीं की जा सकती। नांदघाट थाना प्रभारी की प्रताड़ना से परेशान एक व्यक्ति ने क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर गुहार लगाई थी।

मामला दुर्ग जिले के नांदघाट की है। यहां के रजऊ राम ने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर बताया था कि उसकी बहू राजमति ने ४ मार्च २००४ को नांदघाट थाने में अपने ससुर पर बेटे को अगवा कर लेने का आरोप लगाते हुए उनके चंगुल से छुड़ाने की गुहार लगाई थी। राजमति की शिकायत पर पुलिस ने रजऊ को पूछताछ के लिए थाने बुलाया था। इस दौरान थाना प्रभारी ने रजऊ को एक तमाचा जड़ दिया। रजऊ ने इसकी शिकायत बेमेतरा के एसडीओपी से की। याचिकाकर्ता ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

याचिकाकर्ता ने नांदघाट थाना प्रभारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूछताछ के दौरान थाना प्रभारी ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और तमाचा जड़ दिया। इसके कारण उसकी दाईं आंख को क्षति पहुंची। बतौर मुआवजा उसने पांच लाख रूपए देने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने कहा कि मुआवजे के मामले में बिना साक्ष्य के सुनवाई नहीं की जा सकती। इसके साथ ही जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने याचिका खारिज कर दी है।

Apr 14, 2010

राज्यपाल और सीएम को नोटिस

छत्‍तीसगढ के महिला बाल विकास परिषद से बर्खास्त टाइपिस्टों की यचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री को नोटिस जारी किया है। जवाब के लिए चार सप्ताह बाद की तिथि तय की गई है। कृष्ण कुमार बघेल व तरूण साहू ने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि सितंबर २००९ में आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केंद्र जशपुर व धरमजयगढ़ में उनकी नियुक्ति टाइपिस्ट के पद पर की गई थी। नियुक्ति तिथि से वे दोनों नियमित रूप से कार्य कर रहे थे। अचानक परिषद के महासचिव मोहन चोपड़ा ने बिना किसी कारण के जनवरी २०१० में उनकी सेवा समाप्त कर दी।

इसके खिलाफ परिषद के पदेन अध्यक्ष राज्यपाल व पदेन वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुख्यमंत्री के सामने अभ्यावेदन प्रस्तुत कर गुहार लगाई गई थी।राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री के अलावा महिला एवं बाल विकास के सचिव तथा बाल विकास परिषद के महासचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यहां यह बताना लाजिमी है कि याचिकाकर्ताओं ने छग बाल विकास परिषद के पदेन अध्यक्ष व पदेन वरिष्ठ उपाध्यक्ष होने के नाते राज्यपाल व मुख्यमंत्री को प्रमुख पक्षकार बनाया है।

Apr 6, 2010

कलेक्टर व सीईओ को शोकाज नोटिस - हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

छत्‍तीसगढ के कोरबा जिले की जनपद पंचायत करतला में शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति निरस्त करने के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन, कोरबा कलेक्टर व जनपद पंचायत सीईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता रविकुमार सहित अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि २००८ में शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने विज्ञापन जारी किया था। इसके तहत याचिकाकर्ताओं ने भी करतला जनपद पंचायत में वर्ग-तीन की नियुक्ति के लिए आवेदनपत्र जमा किए थे। परीक्षा आयोजित करने के बाद व्यापमं ने मेरिट सूची जारी की। इसके बाद रिक्त पदों को भरने के लिए प्रतीक्षा सूची भी जारी कर दी। इसमें याचिकाकर्ताओं के भी नाम थे। इस बीच याचिकाकर्ताओं ने जनपद पंचायत कार्यालय से रिक्त पदों की पूर्ति की जानकारी मांगी। इस दौरान उन्हें बताया गया कि प्रतीक्षा सूची में शामिल आवेदकों को शीघ्र ही नियुक्ति आदेश जारी किया जाएगा, लेकिन इस बीच विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के कारण प्रक्रिया में विलंब हो गई। लिहाजा राज्य शासन ने प्रतीक्षा सूची की अवधि तीन माह के लिए बढ़ाने का आदेश दिया। इसके तहत प्रतीक्षा सूची की अवधि ३० जून तय की गई। जनपद पंचायत करतला के सीईओ ने जून के अंतिम सप्ताह में काउंसिलिंग शुरू की और ३० जून को ही नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया। मालूम हो कि यह मामला काफी सुर्खियों में था। यहां के तत्कालीन जनपद पंचायत अध्यक्ष ने सीईओ से दबाव डालकर नियुक्ति आदेश जारी कराया था, जबकि शासन ने सभी कलेक्टर्स को आदेश जारी कर प्रतीक्षा सूची की वैधता को ३० जून २००९ तक समाप्त करने कहा था, लेकिन यहां जनपद पंचायत में शासन द्वारा आदेश जारी करने के बाद आनन-फानन में काउंसिलिंग बुलाकर नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया। इस बीच कलेक्टर को मामले की जानकारी हुई, तो उन्होंने ३० जून को शिक्षाकर्मियों को दिए गए नियुक्ति आदेश को ही निरस्त कर दिया। इसके बाद भी शिक्षाकर्मियों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। इधर, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नियुक्ति आदेश मिलने के बाद १६ जुलाई तक सभी ने कार्यभार ग्रहण कर लिया था, लेकिन कलेक्टर ने उन्हें सुनवाई का मौका दिए बगैर ही नियुक्ति निरस्त कर दी। याचिका में कलेक्टर के आदेश को अवैधानिक बताते हुए निरस्त करने की मांग की गई है। जस्टिस सतीश अग्निहोत्री ने पंचायत सचिव, कोरबा कलेक्टर और जनपद पंचायत करतला के सीईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Apr 2, 2010

सब-इंजीनियर सुरेंद्र कुमार रावत की याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने सचिव से मांगा जवाब

बिलासपुर हाईकोर्ट मे लोक निर्माण विभाग के एक सब-इंजीनियर की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने पीडब्लयूडी सचिव के अलावा चीफ इंजीनियर व अधीक्षण यंत्री को नोटिस जारी किया है।

लोक निर्माण विभाग में पदस्थ सब-इंजीनियर सुरेंद्र कुमार रावत ने वकील मतीन सिद्दीकी के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरडीए) के तहत 25 फरवरी 2002 को ओवरसीयर के पद पर उनकी नियुक्ति की गई थी। उनके कार्यों को देखते हुए विभाग ने सुप्रीटेंडेंट बीआर-2 के पद पर उनकी पदोन्नति कर दी। इसी बीच लोक निर्माण विभाग ने सब-इंजीनियर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। पीडब्ल्यूडी द्वारा जारी किए गए विज्ञापन के अनुसार इस पद के लिए उसने भी आवेदन जमा किया था। विभाग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद बीआरडीए के विभागीय अधिकारियों के समक्ष आवेदन पेश कर लोक निर्माण विभाग में सब-इंजीनियर के पद पर ज्वाइनिंग के लिए अनुमति मांगी गई। 

याचिका के अनुसार विभाग ने सशर्त अनुमति देते हुए 15 दिनों के भीतर छग शासन के लोक निर्माण विभाग में ज्वाइनिंग करने कहा गया। निर्धारित अवधि में पदभार ग्रहण नहीं करने की स्थिति में वापस मूल विभाग में लौटने की बाध्यता रख दी गई। विभाग से मिले निर्देश के बाद निर्धारित अवधि के पहले ही बतौर सब-इंजीनियर लोक निर्माण विभाग में ज्वाइनिंग दे दी गई। याचिका के अनुसार पदभार ग्रहण करने के बाद लोक निर्माण विभाग के आला अधिकारियों के समक्ष आवेदन पेश कर बीआरडीए में लंबे समय से कार्य करने का हवाला देते हुए वरिष्ठता देने की मांग की गई थी। लगातार अभ्यावेदन पेश करने के बाद भी विभाग द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर उसने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने सचिव पीडब्लयूडी, चीफ इंजीनियर व अधीक्षण यंत्री के अलावा बीआरडीए के मार्फत सीपीडब्लयूडी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

Mar 29, 2010

दो सर्विस मैटर पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने जवाब मांगा

स्थगन आदेश के बाद भी रिटायर्ड शिक्षक की ग्रेज्युटी से रिकवरी करने के मामले में हाईकोर्ट ने राजनांदगांव डीईओ को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता नारददास साहू राजनांदगांव जिले में शिक्षक थे। उन्होंने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि उन्हें 1999 से द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ दिया जा रहा था। इसी बीच शासन ने एक सर्कुलर जारी किया, इसमें कहा गया कि शिक्षकों को 1 जनवरी 2006 से द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ देय होगा। इस सर्कुलर के बाद विभाग ने याचिकाकर्ता शिक्षक के खिलाफ रिकवरी आदेश जारी कर दिया। साथ ही कहा कि उन्हें 1999 से द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ दिया जा रहा है, जबकि सर्कुलर में 2006 से इसका लाभ देने का उल्लेख है।

इस पर याचिकाकर्ता शिक्षक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रिकवरी आदेश को चुनौती दी। प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी। यह मामला अभी लंबित था कि 2008 में याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त हो गए। लिहाजा विभाग ने ग्रेज्युटी के रूप में जमा राशि से रिकवरी कर ली। इस पर याचिकाकर्ता शिक्षक ने हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका लगाई। इसमें कहा गया कि कोर्ट से स्थगन आदेश मिलने के बाद भी उनके खिलाफ रिकवरी आदेश जारी कर दिया गया है। प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राजनांदगांव के जिला शिक्षा अधिकारी को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

पदोन्नति से वंचित ईई की याचिका पर हुई सुनवाई

बिलासपुर हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी में अफसरों की पदोन्नति पर रोक लगा दी है। राज्य शासन सहित सात अन्य अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। लोक निर्माण विभाग रायपुर डिविजन के गरियाबंद के ईई आरके वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि विभाग ने उन्हें 2003 में उक्त पद पर प्रमोशन दिया था। इसके बाद पहली विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक होनी थी, जिसमें उनके प्रमोशन पर समिति को निर्णय लेना था, लेकिन विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय जांच होने का हवाला देकर उन्हें पदोन्नति से वंचित कर दिया। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी। बाद में जांच के बाद उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया था। इसके कारण उन्हें प्रमोशन से वंचित नहीं किया जा सकता। याचिका में कहा गया कि विभाग ने कई ऐसे अफसरों को पदोन्नति दे दी है, जिनके पास अनुभव नहीं है और वे याचिकाकर्ता से जूनियर हैं। याचिका में इन अफसरों को भी पक्षकार बनाया गया है। प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए जस्टिस सतीश अग्निहोत्री ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर आगामी आदेश तक प्रमोशन पर रोक लगा दी है।

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