Apr 15, 2010

मुआवजा के मामले में बिना गवाही सुनवाई नहीं

मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि मुआवजे से संबंधित मामले में बिना साक्ष्य के सुनवाई नहीं की जा सकती। नांदघाट थाना प्रभारी की प्रताड़ना से परेशान एक व्यक्ति ने क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर गुहार लगाई थी।

मामला दुर्ग जिले के नांदघाट की है। यहां के रजऊ राम ने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर बताया था कि उसकी बहू राजमति ने ४ मार्च २००४ को नांदघाट थाने में अपने ससुर पर बेटे को अगवा कर लेने का आरोप लगाते हुए उनके चंगुल से छुड़ाने की गुहार लगाई थी। राजमति की शिकायत पर पुलिस ने रजऊ को पूछताछ के लिए थाने बुलाया था। इस दौरान थाना प्रभारी ने रजऊ को एक तमाचा जड़ दिया। रजऊ ने इसकी शिकायत बेमेतरा के एसडीओपी से की। याचिकाकर्ता ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

याचिकाकर्ता ने नांदघाट थाना प्रभारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूछताछ के दौरान थाना प्रभारी ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और तमाचा जड़ दिया। इसके कारण उसकी दाईं आंख को क्षति पहुंची। बतौर मुआवजा उसने पांच लाख रूपए देने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने कहा कि मुआवजे के मामले में बिना साक्ष्य के सुनवाई नहीं की जा सकती। इसके साथ ही जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने याचिका खारिज कर दी है।

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