Dec 1, 2007

समझौते से सुलझे मामले

राजधानी में न्‍यायमूर्तियों की कार्यशाला . तीन दिनों की कार्यशाला में 7 राज्‍यों के 150 से ज्‍यादा न्‍यायाधीश जुटे

छत्‍तीसगढ की राजधानी रायपुर में देशभर से जुटे न्‍यायाधीशों नें इस बात पर मंथन किया कि सुलभ न्‍याय किस तरह उपलब्‍ध कराया जाए एवं न्‍यायालयों में भरी संख्‍या में लंबित मामलों को किस तरह त्‍वरित निबटाया जाए । कम समय में न्‍याय उपलब्‍ध कराए जाने से लेकर 150 से भी ज्‍यादा न्‍यायाधीशों नें विदेशों की तर्ज पर 'प्‍ली बारगेनिंग' से केस सुलझाने की बातों पर चिंतन किया ।




छत्‍तीसगढ उच्‍चन्‍यायालय एवं ज्‍यूडिशियल आफीसर्स ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूट एवं नेशनल ज्‍यूडिसियल एकेडमी ईस्‍ट जोन की ओर से आयोजित पांचवीं री‍जनल ज्‍यूडिशिल वर्कशाप का उदघटन कार्यकारी मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस भल्‍ला नें दीप प्रज्‍वलित कर किया ।

कार्यशाला में पटना, झारखंड, कोलकाता, उडीसा, गुवहाटी, सिक्किम एवं छत्‍तीसगढ के न्‍यायाधीश शामिल हुए हैं । इस अवसर पर जस्टिस भल्‍ला नें कहा कि अमेरिका में 90 प्रतिशत मामले आपसी समझौतों पर न्‍यायालय के बाहर ही निबटा दिये जाते हैं इसलिए वहां की लंबित मामलों की सूची हमेशा न्‍यूनतम ही रहती है । उन्‍होंने आगे कहा कि छत्‍तीसगढ सहित पूरे देश में ऐसा हो सकता है, यह जिम्‍मेदारी सिर्फ न्‍यायाधीशों की ही नहीं है बल्कि कानून से जुडे प्रत्‍येक व्‍यक्ति को इसे गंभीरता से लेना चाहिए । न्‍यायाधीशों की कमी को ही मुख्‍य मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए, पव्लिक प्रासीक्‍यूटर जैसे पद भी भरे जाने चाहिए, अदालतों में सभी पद भरे रहेंगें, तो कोर्ट में काम करने में आसानी रहेगी ।

(समाचार भास्‍कर से साभार)

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