स्थगन आदेश के बाद भी रिटायर्ड शिक्षक की ग्रेज्युटी से रिकवरी करने के मामले में हाईकोर्ट ने राजनांदगांव डीईओ को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता नारददास साहू राजनांदगांव जिले में शिक्षक थे। उन्होंने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि उन्हें 1999 से द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ दिया जा रहा था। इसी बीच शासन ने एक सर्कुलर जारी किया, इसमें कहा गया कि शिक्षकों को 1 जनवरी 2006 से द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ देय होगा। इस सर्कुलर के बाद विभाग ने याचिकाकर्ता शिक्षक के खिलाफ रिकवरी आदेश जारी कर दिया। साथ ही कहा कि उन्हें 1999 से द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ दिया जा रहा है, जबकि सर्कुलर में 2006 से इसका लाभ देने का उल्लेख है।
इस पर याचिकाकर्ता शिक्षक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रिकवरी आदेश को चुनौती दी। प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी। यह मामला अभी लंबित था कि 2008 में याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त हो गए। लिहाजा विभाग ने ग्रेज्युटी के रूप में जमा राशि से रिकवरी कर ली। इस पर याचिकाकर्ता शिक्षक ने हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका लगाई। इसमें कहा गया कि कोर्ट से स्थगन आदेश मिलने के बाद भी उनके खिलाफ रिकवरी आदेश जारी कर दिया गया है। प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राजनांदगांव के जिला शिक्षा अधिकारी को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
पदोन्नति से वंचित ईई की याचिका पर हुई सुनवाई
बिलासपुर हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी में अफसरों की पदोन्नति पर रोक लगा दी है। राज्य शासन सहित सात अन्य अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। लोक निर्माण विभाग रायपुर डिविजन के गरियाबंद के ईई आरके वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि विभाग ने उन्हें 2003 में उक्त पद पर प्रमोशन दिया था। इसके बाद पहली विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक होनी थी, जिसमें उनके प्रमोशन पर समिति को निर्णय लेना था, लेकिन विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय जांच होने का हवाला देकर उन्हें पदोन्नति से वंचित कर दिया। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी। बाद में जांच के बाद उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया था। इसके कारण उन्हें प्रमोशन से वंचित नहीं किया जा सकता। याचिका में कहा गया कि विभाग ने कई ऐसे अफसरों को पदोन्नति दे दी है, जिनके पास अनुभव नहीं है और वे याचिकाकर्ता से जूनियर हैं। याचिका में इन अफसरों को भी पक्षकार बनाया गया है। प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए जस्टिस सतीश अग्निहोत्री ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर आगामी आदेश तक प्रमोशन पर रोक लगा दी है।