विगत दिनों गुरुघासीदास यूनिवर्सिटी की राजनीति विभाग द्वारा आयोजित दो दिनी राष्ट्रीय कार्यशाला में आए वक्ताओं ने मजदूरों के पलायन पर चिंता जताई। साथ ही उन्होंने इसके लिए शासन द्वारा बनाए गए कानून पर अमल नहीं होने को दोषी ठहराया। यूनिवर्सिटी के एमबीए संस्थान के सभाकक्ष में आयोजित कार्यशाला में प्रो. नवीन चंद्रा ने कहा कि पलायन किसी एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि यह सभी राज्यों में होता है। मजदूरों का पलायन देश व्यापी समस्या बन गई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शिक्षा के मामले में बहुत पिछड़ा राज्य है, लिहाजा पलायन के बाद यहां के मजदूरों का बहुत अधिक शोषण होता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का निदान जागरूकता व शिक्षा से ही दूर हो सकता है। अब हमारे देश में पलायन समस्या नहीं है, बल्कि समस्या पलायन करने वाले मजदूरों की दशा है।
उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में पलायन पर जाने वाले मजदूर सभी तरह से शोषण के शिकार होते हैं। उन्हें अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित होना पड़ता है, हालॉकि सरकार ने 1979 में अंतरराज्यीय प्रवासी मजदूर कानून लागू किया है, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक सीमित है। किसी भी राज्य में इस कानून पर कड़ाई से अमल नहीं हो रहा है। यही वजह है कि पलायन करने वाले मजदूर हर जगह शोषण के शिकार हो रहे हैं। सेमिनार में दिल्ली से आए अशोक खंडेलवाल ने कहा कि सेमिनार का उद्देश्य मजदूरों के हित में काम करने वाले स्वयं सेवी संगठन के साथ ही देश भर के मजदूर यूनियन और शासन-प्रशासन को एक साझा मंच देना है, ताकि मजदूरों की समस्या को रखकर उसके निदान पर विचार किया जा सके।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनीति विभाग की हेड डॉ. अनुपमा सक्सेना ने छत्तीसगढ़ के मजदूरों की स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने इस संबंध में किए गए सर्वे का खुलासा भी किया। उन्होंने बताया कि राज्य के ज्यादातर मजदूरों को शासकीय योजनाओं के लाभ से सिर्फ इसलिए वंचित होना पड़ता है, क्योंकि वे रोजी-रोटी की तलाश में यहां से पलायन कर जाते हैं। उनके लिए दुख की बात है कि यहां उन्हें रोजगार नहीं मिलता। इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग की हेड डॉ. मनीषा दुबे, पत्रकारिता विभाग की डॉ. गोपा बागची, गुヒ शरण लाल सहित शिक्षक, मजदूर यूनियन के पदाधिकारी व विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
दिल्ली के अशोक खंडेलवाल ने कहा कि उनकी संस्था मजदूरों के पलायन पर विभिन्न राज्यों में काम कर रही है। हर राज्यों में समाज के लिए एक ही समस्या है वह है पलायन। उन्होंने कहा कि गांवों में पर्याप्त मात्रा में काम नहीं मिलने के कारण ग्रामीण परिवार सहित रोजी-रोटी की तलाश में चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश परिवार ईंट भट्टों में काम करते हैं और उनकी स्थिति बंधुआ मजदूर से कम नहीं होती। उन्होंने कहा कि पलायन रोकना इस समस्या का हल नहीं है, बल्कि पलायन करने वाले मजदूरों को संविधान के प्रावधानों के तहत मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास करना चाहिए।