लोक निर्माण विभाग में पदस्थ सब-इंजीनियर सुरेंद्र कुमार रावत ने वकील मतीन सिद्दीकी के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरडीए) के तहत 25 फरवरी 2002 को ओवरसीयर के पद पर उनकी नियुक्ति की गई थी। उनके कार्यों को देखते हुए विभाग ने सुप्रीटेंडेंट बीआर-2 के पद पर उनकी पदोन्नति कर दी। इसी बीच लोक निर्माण विभाग ने सब-इंजीनियर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। पीडब्ल्यूडी द्वारा जारी किए गए विज्ञापन के अनुसार इस पद के लिए उसने भी आवेदन जमा किया था। विभाग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद बीआरडीए के विभागीय अधिकारियों के समक्ष आवेदन पेश कर लोक निर्माण विभाग में सब-इंजीनियर के पद पर ज्वाइनिंग के लिए अनुमति मांगी गई।
याचिका के अनुसार विभाग ने सशर्त अनुमति देते हुए 15 दिनों के भीतर छग शासन के लोक निर्माण विभाग में ज्वाइनिंग करने कहा गया। निर्धारित अवधि में पदभार ग्रहण नहीं करने की स्थिति में वापस मूल विभाग में लौटने की बाध्यता रख दी गई। विभाग से मिले निर्देश के बाद निर्धारित अवधि के पहले ही बतौर सब-इंजीनियर लोक निर्माण विभाग में ज्वाइनिंग दे दी गई। याचिका के अनुसार पदभार ग्रहण करने के बाद लोक निर्माण विभाग के आला अधिकारियों के समक्ष आवेदन पेश कर बीआरडीए में लंबे समय से कार्य करने का हवाला देते हुए वरिष्ठता देने की मांग की गई थी। लगातार अभ्यावेदन पेश करने के बाद भी विभाग द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर उसने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने सचिव पीडब्लयूडी, चीफ इंजीनियर व अधीक्षण यंत्री के अलावा बीआरडीए के मार्फत सीपीडब्लयूडी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।