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Mar 29, 2011

बालको चिमनी हादसा : चीनी अधिकारियों के जमानत याचिका खरिज

छत्‍तीसगढ़ के बालको चिमनी हादसे के तीन चीनी अधिकारियों की नगद जमानत देने की याचिका हाईकोर्ट बिलासपुर ने सोमवार को खारिज कर दी। इस मामले पर जेएमएफसी कोरबा की अदालत में एक अप्रैल को सुनवाई होनी है।

हाईकोर्ट के जस्टिस टीपी शर्मा ने सोमवार को एक आदेश जारी कर बालको चिमनी हादसे के चीनी आरोपियों की ओर से दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में आवेदन किया गया था कि उन्हें अपनी नगद जमानत जमा करने की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले के जेएमएफसी (प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी) कोरबा की अदालत में विचाराधीन होने के कारण प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है।

बालको चिमनी हादसे में पावर प्लांट का निर्माण कर रही चीनी कंपनी सेपको के तीन अधिकारी प्रोजेक्ट मैनेजर वू छुनान, इंजीनियर ल्यू गेउनान व वांग क्यूंग गिरफ्तार किए गए थे। इनकी जमानत सुप्रीम कोर्ट से हुई। इन्हें एक-एक लाख के निजी मुचलके तथा 50-50 हजार की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया। इनका पासपोर्ट जेएमएफसी कोरबा की अदालत में जमा करने भी आदेशित किया गया। जमानत की औपचारिकता संबंधित जेएमएफसी की अदालत में एक मई 2010 को पूर्ण की गई। इनकी जमानत ग्राम बसीबार निवासी इंद्रभुवन सिंह कंवर ने ली। दैनिक भास्कर ने 18 अगस्त 2010 को अपने अंक में यह खबर प्रमुखता के साथ प्रकाशित की थी कि चीनी अधिकारियों की जमानत लेने वाला इंद्रभुवन सिंह कंवर रोजगार गारंटी योजना के तहत पंजीकृत मजदूर है, वहीं वह आदिवासी वर्ग से है। भू राजस्व संहिता के तहत आदिवासी वर्ग को दिए गए संरक्षण के प्रावधान के अनुसार आदिवासी वर्ग की जमीन न तो नीलाम या कुर्की की जा सकती है और न ही राजसात। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद 28 सितंबर को अभियोजन पक्ष ने जेएमएफसी की अदालत में जमानत पर आपत्ति दर्ज करते हुए नई जमानत लेने को कहा। यह मामला अभी विचाराधीन है। इस बीच चीनी आरोपियों की ओर से उनके अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में उनकी ओर से नगद जमानत देने की अपील की। जिसे सोमवार को खारिज कर दिया गया। इस मामले की सुनवाई 1 अप्रैल को जेएमएफसी कोरबा की कोर्ट में होनी है।

Apr 26, 2010

पुलिस पर लगाया प्रताड़ना का आरोप

बालको चिमनी दुर्घटना मामले में बल्लभगढ़ के नेशनल काउंसिल ऑफ सीमेंट एंड बिल्डिंग के डायरेक्टर जनरल ने केन्द्रीय सूचना आयोग की शरण ली है।

डायरेक्टर जनरल एम वासुदेव ने केन्द्रीय सूचना आयोग के समक्ष यह अपील की थी कि कोरबा पुलिस ने उनके तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने चिमनी दुर्घटना हादसे की टेक्निकल रिपोर्ट सूचना के अधिकार के तहत आरोपी पक्ष से जुड़े लोगों को उपलब्ध कराई थी। इस मामले में कोरबा पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा के तहत उनके ३ अधिकारी एमएम अली, आरके गोस्वामी और यूके मंडल को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने यह कार्रवाई इसलिए की थी, क्योंकि उक्त रिपोर्ट उस समय आरोपी पक्ष के लोगों को उपलब्ध कराई गई, जब इस मामले की जांच चल रही थी। केन्द्रीय सूचना आयोग ने इस मामले की सुनवाई प्रारंभ की। कोरबा पुलिस अधीक्षक रतनलाल डांगी को तलब किया गया। उनके द्वारा १२ अप्रैल को ११ बिन्दुओं पर अपना जवाब प्रस्तुत किया। अपने जवाब में पुलिस ने कहा कि उन्होंने आरटीआई की किसी भी धारा का उल्लंघन नहीं किया है। इस मामले की परीक्षण के दौरान बल्लभगढ़ इंस्टीट्यूट के अधिकारी ने यह भी लिखकर दिया कि मामला सुनवाई के योग्य प्रतीत नहीं हो रहा है। इस मामले में ३ अप्रैल को आयोग ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने पुलिस को चेताया कि वे आरटीआई की धारा का उल्लंघन न करे। निर्णय की प्रतिलिपि छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव पी उम्मेन जाय को भी उपलब्ध कराई गई है।

Apr 9, 2010

बालको चिमनी हादसा : चालान में एक लाख से अधिक दस्तावेज

बालको चिमनी हादसे के प्रकरण का चालान शुक्रवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट की न्यायालय में पेश होगा। इस चालान में एक लाख से अधिक कागज प्रस्तुत किए जाएंगे। साथ ही पुलिस २५० से अधिक गवाह प्रस्तुत करेगी। इस चालान में देश के ख्यातिलब्ध आधा दर्जन टेक्निकल इंस्टीट्यूट की एक्सपर्ट रिपोर्ट शामिल की गई है।

इस मामले की जांच न सिर्फ देश बल्कि देश की सीमाओं के बाहर जाकर भी की गई है। चालान के तमाम दस्तावेज एक यूटीलिटी वेन में भरकर ले जाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि २३ सितंबर को बालको विस्तार परियोजना के द्वितीय चरण के निर्माण कार्य के दौरान निर्माणाधीन चिमनी के गिर जाने से ४४ लोगों की जानें गई थीं। पुलिस ने लगातार ६ महीने तक इस मामले की जांच की है। इस मसले पर कोरबा पुलिस की लगभग २५ से अधिक टीम, जिसमें ६० से अधिक पुलिस कर्मी शामिल थे, को देश के तमाम राज्यों में जांच के लिए भेजा गया। पुलिस का कहना है कि चालान में प्रस्तुत तमाम दस्तावेज टेक्निकल तौर पर तैयार किए गए हैं। इनमें तमाम तरह की टेक्निकल रिपोर्ट, एक्सपर्ट लोगों की राय, डाटा शामिल है। इस मामले में पुलिस ने स्वयं प्रार्थी बनकर अपराध क्रमांक ३७७/२००९ धारा ३०४, ३२४, ३२६, २०१, ३४ का मामला दर्ज किया है। दर्ज प्रकरण में चीनी ठेका कंपनी सेपको के अलावा वेदांता, जीडीसीएल के ९ आरोपियों को पुलिस अब तक गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस को अब भी इस मामले में ७ लोगों की तलाश है। इन्हें गिरफ्तार करने के लिए अभी भी पुलिस की लगातार टीमें देश के हर राज्यों में भेजी जा रही है। इस प्रकरण के बाद से पुलिस का एक विशेष सेल गठित किया गया था। यह सेल लगातार चिमनी दुर्घटना के मामले की तमाम बिंदुओं पर जांच करने जुटा हुआ है। बालको थाना प्रभारी विवेक शर्मा का कहना है कि उनके कार्यकाल का यह अब तक का सबसे बड़ा विवेचना का मामला है। उन्होंने बताया कि इस जांच में सूचना प्रौद्योगिकी का भी खासा इस्तेमाल किया गया है। जांच के दौरान इंटरनेट से बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की गई हैं। देश की सीमाओं के बाहर जाकर दुर्घटना से जुड़े तथ्य बतौर सपोर्ट एकत्रित किए गए हैं। उन्होंने दावा किया है कि तमाम साक्ष्य और सबूत चिमनी दुर्घटना के आरोपियों को अवश्य सलाखों के पीछे ले जाएंगे। हालांकि इस मसले पर शासन ने पृथक से एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का भी गठन किया है। न्यायिक आयोग की जांच जारी है। इस मसले पर आरोपियों को जमानत कराने पर भी काफी पसीना बहाना पड़ा है। आरोपियों की जमानत जिला न्यायालय के अलावा हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी। सुप्रीम कोर्ट से सबसे पहले वेदांता के गिरफ्तार किए गए ३ आरोपियों को जमानत दी गई। इनमें प्रोजेक्ट मैनेजर विराल मेहता, एजीएम दीपक नारंग और जीटीई अनूप महापात्रा शामिल हैं।

Apr 2, 2010

बालको चिमनी हादसे मे इंजीनियरों की जमानत खारिज

छ्त्तीसगढ के बालको चिमनी हादसे में साक्ष्य प्रभावित करने के मामले में गिरफ्तार वल्लभगढ़ लैब के प्रमुख सहित तीनों इंजीनियरों की जमानत बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी है। बालको चिमनी हादसे के मामले में हरियाणा के वल्लभगढ़ स्थित एनसीसीबीएम में चिमनी के मलबे परीक्षण के लिए भेजा गया था। लैब से प्राप्त रिपोर्ट एनआईटी रूढ़की से प्राप्त रिपोर्ट के विपरीत थी। इसके अलावा शासन द्वारा फीस देने एवं मलबा गिरने के बावजूद बालको अधिकारियों को लैंब अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट दिया गया है। चिमनी हादसे के साक्ष्य प्रभावित करने के मामले में बालको पुलिस ने 25 मार्च को वल्लभगढ़ हरियाणा की नेशनल काउंसिल फार सीमेंट एंड बिल्डिंग मटेरियल के सेंटर हेड डा. एमएम अली, इंजीनियर आरके गोस्वामी और यूके मंडल को गिरफ्तार कर लिया। तीनों आरोपियों को 27 मार्च को बालको पुलिस कोरबा लेकर पहुंची। आवश्यक पूछताछ एवं कार्रवाई के बाद तीनों आरोपियों को पुलिस ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सरोज नंद दास के न्यायालय में प्रस्तुत किया। जहां से उन्हें जमानत के अभाव में जिला जेल कोरबा दाखिल करा दिया गया। उक्त आरोपियों ने जमानत के लिए आज जिला एवं सत्र न्यायालय में अर्जी दी थी। विद्वान न्यायधीश पीके दबे ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तीनों इंजीनियरों की जमानत याचिका खारिज कर दी।

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