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Jun 25, 2010

कर्ज अदा करने के बाद भी ले गए थे वाहन : फायनेंस कंपनी देगी हर्जाना

छत्‍तीसगढ़ के दुर्ग नगर में ऋण अदायगी के बावजूद फायनेंस कंपनी द्वारा कथित तौर पर ट्रक वापस ले जाने के मामले में उपभोक्ता फोरम ने पीड़ित को हरजाना देकर राहत पहुंचाया है। इस मामले में उपभोक्ता फोरम न्यायाधीश ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए सिटी फायनेंस इंडिया मुंबई को 12 लाख 18 हजार 526 रूपए पीड़ित को देने का आदेश जारी किया है। इसके खिलाफ केम्प 1 भिलाई निवासी राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा ने याचिका प्रस्तुत किया था।

अधिवक्ता पीएस चौहान ने बताया कि राजेन्द्र प्रसाद अपने जीवकोपार्जन के लिए ट्रक क्रमांक सीजी 04 जी 1123 का क्रय किया था। जिसके लिए उसने सीटी फाइनेंस इंडिया से 6 लाख 85 हजार का ऋण गत 11 नवम्बर 2001 को लिया था। इसी ऋण की अदायगी उसने श्री राम फाइनेंस के माध्यम से जुलाई 2004 तक नियमित रूप से किया था।

उसने अधिवक्ता के माध्यम से फोरम को जानकारी दी थी कि उसने 624992 रूपए के एवज में कुल मय ब्याज 658700 रूपये अदा किया था। जो ऋण राशि से 33 हजार 708 रूपए अधिक था । बावजूद इसके फाइनेंस कंपनी ने 124792 रूपया बकाया होने की जानकारी देते हुए 12 जुलाई 2004 को बगैर नोटिस के ट्रक को अधिग्रहित कर लिया था। मामले की सुनवाई में नोटिस के बावजूद फाइनेंस कंपनी के जिम्मेदार सक्षम अधिकारी उपस्थित नही हुए थे। लिहाजा फोरम ने एक पक्षयी सुनवाई की थी।

May 13, 2010

बैंक लौटाए पैसा : फोरम का आदेश

एफडीएआर की परिपक्वता के बाद रिन्यू न कर राशि का भुगतान करने से मना करने के मामले में छत्‍तीसगढ़ के दुर्ग जिला उपभोक्ता फोरम ने आईसीआईसीआई बैंक प्रबंधन के खिलाफ आदेश पारित किया है। जिसमें फोरम ने एक माह के भीतर परिवादी को एफडीआर की राशि का भुगतान ब्याज समेत करने कहा है।

प्रकरण के मुताबिक नेहरू नगर निवासी रामआशीष सिंह व उनकी पत्नी ललिता सिंह ने आईसीआईसीआई बैंक नेहरू नगर शाखा में ५०-५० हजार रूपए के पांच एफडीआर करवाया था। ६ महीने बाद परिपक्वता होने पर उन्होने सभी एफडीआर को फिर से ६ महीने के लिए रिन्यू कराने एफडीआर का मूल सर्टिफिकेट बैंक के पास जमा किया। बैंक प्रबंधन द्वारा २ लाख रूपए के ४ एफडीआर रामआशीष सिंह व ललिता सिंह को प्रदान किया। ५० हजार रूपए का एक एफडीआर को तकनीकी समस्याओं का हवाला देते हुए रोक लिया गया। बाद में बैंक प्रबंधन ने रोकी गई रकम व एफडीआर को रामआशीष यादव का होना बताकर एफडीआर की रकम देने से मना कर दिया। तब रामआशीष सिंह व ललिता सिंह ने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद पेश कर एफडीआर की जमा राशि ब्याज के साथ दिलवाने व मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए हर्जाना दिलवाने का आग्रह किया। सुनवाई के बाद फोरम ने माना कि परिवादी पांचवी एफडी का नवीनीकरण कराने का अधिकार रखते थे।

Mar 27, 2010

वाशिंग मशीन की पूरी कीमत अदा करें

दुर्ग जिला उपभोक्ता फोरम ने सेवा में कमी के एक मामले में वाशिंग मशीन विक्रेता, सुधारक व एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के प्रबंधक को संयुक्त रूप से ग्राहक को वाशिंग मशीन की कीमत अदा करने निर्देशित किया है। इस मामले में वाशिंग मशीन खरीदी के १ वर्ष बाद ही खराब हो गई थी। प्रकरण के अनुसार परिवादी लवकुश सिंगरोल (४९) ने ६ जुलाई ०७ को मोतीपारा स्टेशन रोड में जायसवाल इलेक्ट्रॉनिक दुकान से १२ हजार ४९८ रुपए नकदी देकर एलजी कंपनी की वाशिंग मशीन खरीदा था। विक्रेता ने मशीन की ५ वर्ष की वारंटी होना बताया था।

इसके अलावा यह भी बताया गया था कि विक्रय एक वर्ष के भीतर मशीन में खराबी आने से यदि वह सुधारने लायक नहीं रही तो नई मशीन दी जाएगी। मशीन घर लाने पर वह पहले दिन से ही सही ढंग से काम नहीं कर रही थी, जिसकी शिकायत परिवादी ने दुकानदार से की। दुकानदार ने सुधार कार्य के लिए मिस्त्री घर भेजा। अधिकृत मिस्त्री द्वारा भी मशीन की खराबी दूर नहीं की जा सकी। दुकानदार ने उक्त मशीन को सुधारने के लिए एक अधिकृत सुधारक ब्लॉक नंबर ६/४ प्रियदर्शनी परिसर सुपेला स्थित हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक्स में भेजा। उक्त अधिकृत सर्विस सेंटर में मशीन को ४ माह तक रखा गया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। बार-बार तकादा करने पर १४ जुलाई ०८ को यह कहते हुए कि मशीन सुधार दी गई है। मशीन को रिक्शे में लोड करवाकर प्रार्थी के घर भेज दी गई, लेकिन मशीन खराब थी। घटिया स्तर की वाशिंग मशीन विक्रय कर व्यावसायिक दुराचरण एवं सेवा में कमी के मामले में परिवादी ने जायसवाल इलेक्ट्रॉनिक्स, एलजी कंपनी के सामानों के अधिकृत सुधारक प्रियदर्शनी परिसर सुपेला स्थित हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक्स नोएडा (यूपी) के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद पेश किया। परिवाद की सुनवाई पश्चात फोरम के अध्यक्ष महेंद्र राठौर व सदस्त तृप्ति शास्त्री व शुभा सिंह ने परिवादी के पक्ष में आदेश दिया।

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