बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ डेंटल कॉलेज राजनांदगांव में राज्य सरकार कोटे से एमडीएस कोर्स की दो नई सीटों के लिए काउंसिलिंग कराने के निर्देश दिए हैं। काउंसिलिंग ३० जून तक की जानी है। याचिका पर २८ जून को पुनः सुनवाई होगी।
दंत चिकित्सा के क्षेत्र में एमडीएस कोर्स स्नातकोत्तर संचालित करने वाला प्रदेश में छत्तीसगढ़ डेंटल कॉलेज राजनांदगांव एक मात्र है। केंद्र सरकार व डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त कर वर्ष २००९-२०१० से ४ सीटों के साथ एमडीएस कोर्स प्रारंभ किया गया है। सभी कॉलेजों में एमडीएस कोर्स में प्रवेश के लिए डीसीआई ने एमडीएस रेगुलेशन २००७ नियम बनाया है। नियम के अनुसार एमडीएस की आधी सीट राज्य सरकार के अधीन होती है। आधी सीट प्रबंधन के पास रहती है। राज्य सरकार प्री-पीजी परीक्षा आयोजित कर काउंसिलिंग के माध्यम से सीट को भरती है। वर्ष २००९ में दो सीटों को राज्य सरकार ने भरी। २०१० में उक्त सीट को भरने १४ मई को विज्ञापन प्रकाशित कराया गया। उस समय तक कॉलेज के पास एमडीएस की ४ सीटें ही उपलब्ध थीं। २५ मई को परीक्षा आयोजित कर २६ मई को परिणाम की घोषणा की गई। परीक्षा में याचिकाकर्ता डॉ. श्वेता सिंह अनुसूचित जनजाति वर्ग में प्रथम स्थान पर तथा संयुक्त मेरिट में ११वें स्थान पर रहीं। राज्य सरकार ने २७ मई को काउंसिलिंग कर दो विद्यार्थियों को प्रवेश दिया। अगले दिन केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ डेंटल कॉलेज राजनांदगांव में एमडीएस की ४ सीटें बढ़ा दीं। इसकी सूचना राज्य सरकार को ७ जून को मिली। वहीं, डीसीआई द्वारा पूर्व निर्धारित प्रवेश की अंतिम तिथि ३१ मई निकल गई थी। संचालक चिकित्सा शिक्षा ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा, लेकिन वहां से कोई मार्गदर्शन नहीं मिल पाया था।
इसी बीच सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित कर स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए अंतिम तिथि ३० जून तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के तहत राज्य सरकार को बढ़ी हुई दो सीटों के लिए काउंसिलिंग करनी थी, पर इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा था। इस बीच प्रबंधन ने काउंसिलिंग कर दो सीटों में प्रवेश दे दिया और राज्य सरकार कोटे की सीटों को भी अपना मानते हुए काउंसिलिंग की तैयारी में है। इस बात को लेकर याचिकाकर्ता डॉ. श्वेता सिंह ने अधिवक्ता जितेंद्र पाली, वरुण शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता अजजा कोटे में प्रथम स्थान पर है। इस कारण उक्त सीट में चयन के योग्य है। याचिका पर जस्टिस आईएम कुद्दुसी व जस्टिस एनके अग्रवाल की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए शासकीय अधिवक्ता को उचित निर्देश लेने एवं राज्य सरकार को काउंसिलिंग सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ३० जून से पहले पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
इसी बीच सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित कर स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए अंतिम तिथि ३० जून तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के तहत राज्य सरकार को बढ़ी हुई दो सीटों के लिए काउंसिलिंग करनी थी, पर इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा था। इस बीच प्रबंधन ने काउंसिलिंग कर दो सीटों में प्रवेश दे दिया और राज्य सरकार कोटे की सीटों को भी अपना मानते हुए काउंसिलिंग की तैयारी में है। इस बात को लेकर याचिकाकर्ता डॉ. श्वेता सिंह ने अधिवक्ता जितेंद्र पाली, वरुण शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता अजजा कोटे में प्रथम स्थान पर है। इस कारण उक्त सीट में चयन के योग्य है। याचिका पर जस्टिस आईएम कुद्दुसी व जस्टिस एनके अग्रवाल की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए शासकीय अधिवक्ता को उचित निर्देश लेने एवं राज्य सरकार को काउंसिलिंग सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ३० जून से पहले पूरी करने के निर्देश दिए हैं।