स्थाई जाति प्रमाण पत्र बनवाने भटक रहे तखतपुर के नेत्रहीन युवक को बिलासपुर हाईकोर्ट से राहत मिली। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने अस्थाई जाति प्रमाण पत्र को स्थाई करने का आदेश दिया है।
सूत्रों के मुताबिक तखतपुर निवासी अनुसूचित जाति वर्ग का युवक ओंकार करेलिया नेत्रहीन है। उसने स्थाई जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तहसील कार्यालय तखतपुर में मिसल बंदोबस्त रिकार्ड के लिए आवेदन दिया। मिसल बंदोबस्त में उसके नाम पर भूमि नहीं होने पर स्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। इसके बाद उसने ७ अप्रैल २०१० को मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह को पत्र लिख कर गुहार लगाई। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर उसने अधिवक्ता केके सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में उसके नाम भूमि नहीं होने तथा मिसल बंदोबस्त रिकार्ड में भी नाम नहीं होने के कारण स्थाई जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए जाने तथा पूर्व में जारी किए गए अस्थाई जाति प्रमाण पत्र को स्थाई करने की मांग की। प्रकरण में जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की एकलपीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई उपरांत उन्होंने पूर्व में जारी अस्थाई जाति प्रमाण पत्र के आधार पर मिसल बंदोबस्त रिकार्ड की अनिवार्यता को शिथिल करते हुए स्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है। उल्लेखनीय है राज्य शासन ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के बढ़ते प्रकरणों को ध्यान में रखते हुए मिसल बंदोबस्त रिकार्ड में नाम को अनिवार्य कर दिया है। इसके आधार पर जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है।
जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहले अवलोकन फिर नकल आदि के लिए व्यावहारिक रूप में पुराना मिसल बंदोबस्त रिकार्ड बार बार खोला जा रहा है जिसके कारण लगभग लगभग हर जिले का मिसल जीर्ण शीर्ण हो गया है । आगामी वर्षों में जाति के अतिरिक्त राजस्व अभिलेखों की जानकारी के लिए यह रिकार्ड उपलब्ध नहीं हो पायेगा जिससे वकीलों को पुराने अधिकार अभिलेख, दस्तावेज सर्च में दिक्कत आयेगी।