Apr 8, 2010

सिम्स वापस करें अधिक राशि

बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिम्स प्रबंधन व राज्य शासन को पेमेंट सीट के रूप में विद्यार्थियों से ज्यादा वसूल की गई फीस को वापस करने का फरमान जारी किया है। डिवीजन बेंच के फैसले से एमबीबीएस २००३-०४ बेच के विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिली है। सिम्स प्रबंधन ने पेमेंट सीट में प्रवेश देने के एवज में प्रति छात्र १ लाख ४० रूपए वसूले थे।

वर्ष २००३-०४ बेच के राजेश अग्रवाल, रिंपल बच्चू, आनंद भट्टर सहित अन्य ने वकील कनक तिवारी,जितेंद्र पाली व मतीन सिद्दीकी के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि गुヒ घासीदास यूनिवर्सिटी ने बिलासपुर में छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के नाम से मेडिकल कॉलेज का संचालन प्रारंभ किया। तब १०० सीटें निर्धारित की गई थीं। वर्ष २००३ में छग शासन ने छग चिकित्सा तथा दंत चिकित्सा स्नातक प्रवेश नियम पारित किया। प्रवेश नियम ४ के अनुसार कुल सीटों की १५ प्रतिशत सीटें आल इंडिया परीक्षाओं से आए विद्यार्थियों के लिए तथा ३ फीसदी सीटें केंद्रीय कोटा की है। शेष ८२ सीटों का आबंटन पेमेंट तथा फ्री के रूप में किया गया था। शासन के निर्देशों को धता बताते हुए यूनिवर्सिटी ने ५० प्रतिशत सीटों को पेमेंट व ५० प्रतिशत सीट को फ्री घोषित कर दिया। फ्री सीटों में से ७ को आल इंडिया तथा १ को केंद्रीय कोटा की सीट निर्धारित कर दी गर्ठ। याचिकाकर्ताओं ने शासन के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि सिम्स को इस बात के निर्देश दिए गए थे कि २००३ में पेमेंट सीट में प्रवेश लिए १० विद्यार्थियों को आरक्षण नियमों का पालन करते हुए फ्री सीट में प्रवेश की सुविधा दी जाए। इसके बाद भी सिम्स ने याचिकाकर्ताओं को मेरिट में होने के बाद भी फ्री के बजाय पेमेंट सीट में प्रवेश दे दिया। साथ ही सिम्स प्रबंधन ने याचिकाकर्ता छात्रों को भारी भरकम फीस जमा करने का आदेश भी जारी कर दिया। हाईकोर्ट ने प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई के बाद छात्रहित में ५० फीसदी फीस जमा करने के निर्देश सिम्स प्रबंधन को दिए थे। सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए यूनिवर्सिटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसी बीच १ दिसंबर २००७ को राज्य शासन ने सिम्स का अधिग्रहण कर लिया। ३० मार्च २००९ को संचालक चिकित्सा शिक्षा ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत कर आल इंडिया कोटा व केंद्रीय कोटा की सभी सीटों को फ्री सीट करने का खुलासा किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता छात्रों ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में गुहार लगाई थी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा व जस्टिस आरएन चंद्राकर की डिवीजन में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता छात्रों से पेमेंट सीट के रूप में वसूली गई फीस को वापस करने का फरमान सिम्स प्रबंधन व शासन को जारी किया है।

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