Apr 7, 2010

संचालक से मांगा जवाब

निचली अदालत द्वारा जुर्म दर्ज करने जारी किए गए आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने संचालक पंचायत के अलावा दो आला अफसरों को नोटिस जारी किया है। पीआरटी कंस्ट्रक्शन दुर्ग के संचालक जीएस सोलंकी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उनके खिलाफ पाटन के एक पटवारी ने एसडीएम पाटन से अवैध प्लाटिंग के संबंध में शिकायत की थी। इसे गंभीरता से लेते हुए एसडीएम ने याचिकाकर्ता बिल्डर को नोटिस जारी किया था। 

इसका जवाब देने के बाद भी एसडीएम ने भू-राजस्व संहिता की धारा १९७२ का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने का आरोप मढ़ते हुए कुम्हारी थाना प्रभारी को बिल्डर के खिलाफ जुर्म दर्ज करने का आदेश जारी किया था। बिल्डर ने एसडीएम के आदेश को एडिशनल कलेक्टर की अदालत में चुनौती दी थी। अतिरिक्त कलेक्टर ने एसडीएम के आदेश को यथावत रखते हुए अपील खारिज कर दी। संचालक पंचायत एवं समाजसेवा ने भी बिल्डर की अपील खारिज कर दी। निचली अदालतों द्वारा पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने डायवर्सन के नियमों का पालन करने की जानकारी देते हुए बताया है कि रजिस्ट्रेशन ऑफ कॉलोनाइजर एक्ट १९९९ के तहत कोई बिल्डर ५ हजार वर्गफीट से ज्यादा जमीन की खरीद-बिक्री करता है या फिर विकास करता है, तभी बिल्डर माना जाएगा। 

याचिकाकर्ता ने छग पंचायत राज अधिनियम की धारा ६१(अ) का हवाला देते हुए कहा कि निगम सीमा से १६ किमी के भीतर में ही कॉलोनाइजर एक्ट प्रभावशील रहता है। उनके द्वारा जिस जगह पर विकास किया जा रहा है, वह इस सीमा से बाहर है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस मनींद्र श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस श्री श्रीवास्तव ने प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास, सचिव नगरीय प्रशासन व संचालक पंचायत को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

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