पिछले दिनों बिलासपुर हाईकोर्ट के गलियारे से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक याचिकाकर्ता श्रीमती कुसुम तिवारी को रेलवे ने पान-बिड़ी दुकान चलाने के लिए लायसेंस दिया था। रेलवे ने बिना कोई कारण बताए लायसेंस को निरस्त कर दिया। याचिकाकर्ता ने इसे वरिष्ठ अधिवक्ता कनक तिवारी , जितेन्द्र पाली व मतीन सिद्दिकी के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। दायर याचिका में कहा गया था,कि याचिकाकर्ता की तरह अन्य दुकानदारों के भी लायसेंस निरस्त किए गए थे। जिन्हें वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराकर दुकानें खुलवा दी गई है,लेकिन याचिकाकर्ता को आज तक स्थान उपलब्ध नहीं कराया गया है।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के मामले पर नियमानुसार विचार कर चार सप्ताह के भीतर प्रकरण का निराकरण करने का निर्देश रेलवे को दिया है। यह रेलवे की पक्षपात पूर्ण रवैया है। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस सुनील सिन्हा की एकलपीठ ने रेलवे को निर्देशित किया है,कि याचिकाकर्ता के मामले पर चार सप्ताह के भीतर नियमानुसार विचार कर प्रकरण का निराकरण करे।