छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी में एक रिश्तेदार की अचानक संदेहास्पद मौत की सूचना के बाद भी गुढ़ियारी पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस ने यह कहकर टाल दिया कि शराब पीकर पड़ा होगा जाकर अस्पताल में सुला दो। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
खबर के मुताबिक देवगांव सिरपुर पलारी निवासी रजऊ पिता जत्तु यादव (40) दो दिनों पहले रिश्तेदार मैथारी यादव के यहां एकता नगर गुढ़ियारी आया हुआ था। कल शाम वह वापस गांव जाने की इच्छा जाहिर की तौ मैथारी उसे बस स्टैंड छोड़कर वापस आ गया और किसी काम के सिलसिले में कहीं चला गया। उसके पीछे कुछ देर बाद रजऊ गांव न जाकर वापस गुढ़ियारी आ गया। देर शाम जब मैथारी अपने घर पहुंचा तो रजऊ औंधे मुंह पड़ा हुआ था और उसके मुंह से झाग निकल रहा था। मैथारी ने उसे पलंग पर लिटाया और पानी पिलाया लेकिन कोई हरकत नहीं होते देख उसे संदेह हुआ कि उसकी मौत हो गई है। तत्काल उसे लेकर वह डॉ अंबेडकर अस्पताल पहुंचा जहां पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इससे पहले मैथारी का रिश्तेदार कुलेश्वर यादव व डेयरी फार्म संचालक पड़ोसी अशोक धुग्गड़ को इस बात की जानकारी पहले ही लग गई थी और वे इस बात की सूचना देने गुढ़ियारी थाना गए हुए थे। उन्होंने बताया कि पुलिस को सूचना देने पर कि उनके घर में आया एक रिश्तेदार ठहरा हुआ है और उसके मुंह से झाग निकल रहा है व सांसे भी थमी सी लग रही है। मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों ने दोनों को यह कहकर दुत्कार दिया कि शराब के नशे में पड़ा होगा जाकर उसका इलाज करवा दो ठीक हो जाएगा। जबकि दूसरी तरफ डॉ अंबेडकर अस्पताल में वह मृत घोषित किया जा चुका था। डॉ अंबेडकर अस्पताल में उसका पंचनामा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए रखा गया है। मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक संबंधित थाना क्षेत्र को हर एक मामले को गंभीरता से लेना है और सूचना गलत मिलने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने का अधिकार है जिसने गलत सूचना पुलिस को देकर उनको उलझाने का काम किया है। पर इस प्रकरण में सूचना सही होने के बाद भी पुलिस कर्मियों ने जरा सी भी गंभीरता नहीं दिखाई। इसको सही मायने में देखा जाए तो सीधेतौर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ही कहलाएगी।