छत्तीसगढ पीएससी के पुराने मामलों की सुनवाई कल शुक्रवार को हाईकोर्ट में हुई। इस दौरान एक याचिकाकर्ता की ओर से समय मांगने पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी गई। वर्ष 2003 व 2005 में हुई पीएससी परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर भी पूर्व में कई याचिकाएं दायर की गईं हैं। इनमें भी पीएससी की परीक्षा प्रणाली, आरक्षण, गलत उत्तरों के आधार पर परिणाम घोषित करने सहित कई मुद्दे उठाकर परीक्षा निरस्त कर नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की गई है।
इनमें याचिकाकर्ता वर्षा डोंगरे, चमनलाल सिन्हा सहित एक जनहित याचिका भी दायर की गई है। जनहित याचिका में वर्ष 2005 की परीक्षा को पूरी तरह अवैध बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की गई है। याचिका में बताया गया है कि 2005 की पूरी परीक्षा ही गलत तरीके से ली गई। इसमें किसी नियम का पालन नहीं किया गया। इस दौरान अध्यक्ष को हटाया गया, पीएससी के कई अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर भी हुई।
इसलिए इस परीक्षा के बाद हुई नियुक्तियों को वैध नहीं ठहराया जा सकता। ये सभी मामले आज चीफ जस्टिस राजीव गुप्ता, जस्टिस एसके सिन्हा की डिविजन बेंच में सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुए। जनहित याचिका दायर करने वाले वकील द्वारा समय मांगने पर सभी मामलों की सुनवाई बढ़ा दी गई। गौरतलब है कि वर्ष 2008 की पीएससी परीक्षा की मुख्य परीक्षा हाईकोर्ट ने पहले ही आगामी आदेश तक स्थगित करते हुए अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की है।