छत्तीसगढ़ अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास की तृतीय बैठक के मुख्य बिन्दु
पद क्रमांक-1 :
प्रदेश के अधिवक्ताओं के मरणोंपरांत उनके परिवार को मिलने वाली मृत्युदावा राशि जो वतर्मान में 1,50,000.00 है जो कि (75,000.00 परिषद द्वारा एवं 75,000.00 माननीय मुख्यमंत्री स्वेच्छिक अनुदान से दिया जाता है) इस राशि में 25000.00 वृद्धि करने का निर्णय लिया गया तथा इस प्रकार मृत्युदावा की राशि 1,75,000.00 (एक लाख राज्य विधिज्ञ परिषद एवं मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि 75,000.00) सारी औपचारिकताएं पूर्ण कर यह योजना दिनांक 01.04.2009 से प्रभावशील होगी तथा मुख्यमंत्री स्वेच्छिक अनुदान की राशि भी 25,000.00 से बढ़ाये जाने के प्रयास करने का निर्णय हुआ जिससे मृतक अधिवक्ता के परिवार की राशि 1,75,000.00 से बढ़कर 2,00,000.00 हो जावेगी।
प्रस्ताव क्रमांक- न्या.स./1/2009
इस विषय पर संयुक्त सचिव द्वारा, छ.ग. राज्य अधिवक्ता परिषद् की माननीय सामान्य सभा द्वारा पारित प्रस्ताव क्रमांक स.सा. 0/8/123/2008, दिनांक 20.10.2008 को सदन के समक्ष प्रस्तुत किया गया एवं समिति के वतर्मान आय व्यय एवं राशि बढ़ाये जाने की स्थिति में अनुमानित व्यय भी प्रस्तुत किया गया।
वतर्मान में अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास द्वारा अधिवक्ता के मरणोंपरान्त उनके परिवार को अधिवक्ता कल्याण निधि के खाते से 75,000.00 प्रदान किया जाता है। वतर्मान परिस्थिति एवं प्रतिवर्ष आय एवं व्यय के अनुमानित व्यय के मद्देनजर उपरोक्त राशि रूपये 25,000.00 की वृद्धि किये जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया जाता है। जो कि दिनांक 01.04.2009 से प्रभावशील होगा।
पद क्रमांक-2
वर्ष 2004 में राज्य अधिवक्ता परिषद के पदाधिकारीगण एवं प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री एवं विधि मंत्री द्वारा प्रदेश के अधिवक्तागण के हित में एक ऎतिहासिक कदम उठाते हुए यह नितिगत निर्णय लिया गया कि अधिवक्तागण के मृत्युपरान्त उनके उत्तराधिकारीगण को परिषद द्वारा जितनी राशि देगी उतनी ही राशि मुख्यमंत्री स्वेच्छिक अनुदान से दिया जायेगा, तथा भविष्य में यदि मृत्युदावा की राशि बढ़ाती है तो शासन भी उस राशि के समतुल्य राशि बढ़ायेगी इस हेतु आवश्यक पहल पर विचार विमर्श।
प्रस्ताव क्रमांक- न्या.स./2/2009
सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया जाता है कि परिषद की अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास समिति माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय विधि मंत्री द्वारा प्रदेश के अधिवक्तागण के हित में लिये गये ऎतिहासिक एवं नितिगत निर्णय तथा माननीय मुख्यमंत्री स्वेच्छिक अनुदान राशि से प्रदेश के दिवंगत अधिवक्तागण के परिवारजनों को प्रदान की गई राशि के लिए कृतज्ञता एवं आभार व्यक्त करती है तथा आज पारित उपरोक्त प्रस्ताव क्रमांक - न्या.स./1/2009 के अनुरूप वर्तमान में मुख्यमंत्री स्वेच्छिक अनुदान राशि को 1,00,000.00 कराये जाने हेतु छ.ग.शासन से अनुरोध किया जाता है जिस हेतु इस प्रस्ताव के साथ अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास समिति के पदाधिकारी एवं सदस्यगण शीघ्र प्रयास करेंगे।
पद क्रमांक - 3
आयकर विभाग द्वारा वर्ष 2004-2005 के आयकर राशि, निधि से आहरित किये जाने के संबंध में अवगत कराने एवं अग्रिम कार्यवाही हेतु दिशा निर्देश तय करना।
प्रस्ताव क्रमांक - न्या.स./3/2009
इस विषय पर आयकर विभाग द्वारा परिषद एवं समिति के खातों से किये आहरित की गई राशि के संबंध में परिषद द्वारा की गई समस्त कार्यवाही का अवलोकन किया गया एवं सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया जाता है कि परिषद द्वारा की गई समस्त कार्यवाही में समिति अपनी सहमति प्रदान करती है।
पद क्रमांक - 4
"माननीय अध्यक्ष महोदय की अनुमति से प्रस्तुत अन्य विषय पर विचार"
प्रस्ताव क्रमांक - न्या.स./4/2009
माननीय श्री विवेक रंजन तिवारी, उपाध्यक्ष, अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव न्यासी समिति के खातों से परिषद का नाम विलोपित कर न्यासी समिति के नाम से निर्धारित किया जावे।
सर्व सम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि अधिवक्ता कल्याण न्यास समिति के खातों को, अभिलेखों को पृथक से न्यास समिति के नाम पर ही रखा जावे।
प्रस्ताव क्रमांक - न्या.स./5/2009
माननीय कोषाध्यक्ष श्री योगेशचंन्द्र शर्मा द्वारा प्रस्तुत यह प्रस्ताव कि न्यासी समिति का गठन 1982 में किया गया था एवं समय-समय पर म.प्र. सरकार के द्वारा मृत्युदावा राशि आवंटन हेतु उप समिति का गठन, नियम, अधिवक्ता कल्याण निधि स्टाम्प के मुद्रण एवं वितरण एवं न्यास समिति के कार्य को सम्पन्न किया जाता रहा है एवं छ.ग. राज्य अधिवक्ता परिषद के गठन के पश्चात उसी अनुरूप कार्य किया जा रहा है। अस्तु न्यास समिति के कार्यों को उसी अनुरूप कार्य किये जाने हेतु अनुमति प्रदान किया जाता है एवं संयुक्त सचिव को निर्देशित किया जाता है कि न्यास समिति के कार्य प्रक्रिया को संकलित कर नियम के रूप में स्वीकृत किये जाने हतु आगामी बैठक में प्रस्तुत करें। सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया।
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सुआ गीत : नारी हृदय की धड़कन