एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रजिस्टार फर्म एवं सोसाइटी को डिफाल्टर बैंकों से निर्वाचित होकर आए संचालक मंडल के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए सिंगल बेंच ने ६ सप्ताह की मोहलत दी है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा ने याचिका दायर कर शिकायत की थी कि रायपुर स्थित ग्रामीण कृषि विकास बैंक के संचालक मंडल में १० ऐसे सदस्यों को शामिल किया गया है जो पात्र ही नहीं हैं। याचिका के अनुसार इन सदस्यों को जिन बैंक के जरिए संचालक मंडल में शामिल किया गया है चुनाव के पूर्व ही इन बेंकों को डिफाल्टर घोषित कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि ग्रामीण कृषि विकास बैंक के अंतर्गत आने वाले १० बैंकों को डिफाल्टर घोषित किया गया था। इन बैंकों में चुनाव की प्रक्रिया ही की गई है। समितियों में चुनाव के बाद संचालक मंडल के सदस्यों के लिए निर्वाचन किया गया। आश्चर्यजनक ढंग से १० डिफाल्टर बैंक से भी सदस्यों का मनोनयन कर संचालक मंडल में शामिल कर लिया गया है। याचिकाकर्ता ने इस बात की भी जानकारी दी कि रजिस्टार फर्म एवं सोसाइटी में शिकायत के बाद भी अपात्र डॉयरेक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। नियमों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया था कि डिफाल्टर बैंक के सदस्य को मनोनीत किए जाने की स्थिति में वे स्वतः अपात्र हो जाएंगे लिहाजा वे सदस्य ही नहीं रह पाएंगे। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के सिंगल बेंच में हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने रजिस्टार फर्म एवं सोसाइटी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने रजिस्टार से पूछा कि डिफाल्टर बैंक से मनोनित होकर आए संचालक मंडल के सदस्यों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं की गई। हाईकोर्ट ने रजिस्टार को ऐसे बैंक जो डिफाल्टर हैं व इन बैंकों से जो सदस्य संचालक मंडल में शामिल किए गए हैं इनकी सदस्यता समाप्ति की घोषणा करने के साथ ही कोर्ट को अवगत कराने फरमान जारी किया है। इसके लिए ६ सप्ताह की मोहलत दी है।