सीपत स्थित एनटीसीपीसी के लिए जमीन देने वाले भू-विस्थापितों ने वहां नौकरी की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने एनटीपीसी के जीएम, सचिव राजस्व व आपदा प्रबंधन सहित आला अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
ग्राम रांक निवासी जगदीश पुरी व बिसाहु ने वकील मतीन सिद्दीकी के जरिए होईकोर्ट में याचिका दायर कर शिकायत की है कि सीपत एनटीपीसी प्रबंधन ने भू-विस्थापितों के लिए पुनर्वास पैकेज के तहत मुआवजा के साथ ही प्रभावित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की बात कही थी। गांव के अन्य किसानों के समान उनकी भी कृषि योग्य जमीन पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित कर ली गई है। जगदीश ने बताया है कि उसकी १.११ एकड़ व बिसाहु की ३.१२ एकड़ जमीन एनटीपीसी प्रबंधन ने अधिग्रहित की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनके बेटे प्रमोद कुमार व रोहित खरे को १० मई २००८ को प्रबंधन ने इंटरव्यू के लिए बुलाया था। साक्षात्कार के बाद जारी की गई चयन सूची में उनके नाम भी थे। याचिकाकर्ताओं ने शिकायत करते हुए कहा कि चयन सूची में नाम जारी करने दो साल के बाद भी नौकरी नहीं मिल पाई है। जानकारी मांगने पर संतोषजनक जवाब भी नहीं मिल रहा है। एनटीपीसी प्रबंधन के अड़ियल रवैए की कलेक्टर व एसडीएम से भी की गई थी। कलेक्टर ने पुनर्वास पैकेज के लिए जारी गाइड लाइन के अनुसार नौकरी देने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन,सीपत स्थित एनटीपीसी के जीएम,कलेक्टर व एसडीएम बिलासपुर को नोटिस जारी किया गया है।
प्रबंधन द्वारा पुनर्वास पैकेज का उल्लंघन करने से नाराज प्रभावित भू-विस्थापितों ने ग्राम रांक में चरणबद्ध आंदोलन किया था। इस दौरान प्रभावित सभी ९ गांवों के ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। आंदोलन के दौरान ग्रामीणों ने एनटीपीसी के कुछ अफसरों का घेराव करने के साथ ही चूड़ियां भी पहना दी थी। प्रबंधन द्वारा पुनर्वास पैकेज के तहत प्रभावित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने आंदोलन समाप्त किया था।