देश के मुख्य न्यायाधीश सरोश होमीदाजी कपाडिय़ा ने देश के तमाम न्यायालयों में कार्यरत न्यायधीशों एवं अधिवक्ताओं के हितों और सुविधाओं पर संवेदनशीलता दिखाकर विधिक जगत के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है। हाल ही में ग्रीष्म अवकाश के दौरान मुंबई तथा उड़ीसा के छोटे कस्बों के न्यायालयों के अनौपचारिक दौरे के दौरान अधीनस्थ न्यायालयों में व्यवस्थाओं और सुविधाओं के अभाव को जस्टिस कपाडिय़ा ने बड़ी शिद्दत के साथ महसूस किया। परिणाम स्वरूप उच्चतम न्यायालय ने एक विशेष तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया है।
गत सप्ताह प्रथम सुनवाई के दौरान पीठ द्वारा इन न्यायालयों के स्टाफ की असुविधाओं, अधिवक्ताओं का साइकिल शेडों में बैठने को लेकर चिंता व्यक्त करना यह इंगित करता है कि परिवार के मुखिया होने के नाते कार्यस्थल को लेकर जस्टिस कपाडिय़ा कितने चिंतित हैं। इस सुनवाई के अंत में जस्टिस कपाडिय़ा ने प्रत्येक सोमवार को दोपहर में उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रत्येक राज्य में व्याप्त समस्याओं की सुनवाई किए जाने, न्यायलयों में जुर्माने से प्राप्त राशि का उपयोग उन्ही न्यायालयों में सुविधाएं बढ़ाने हेतु करने के प्रयास करने एक लिखित आदेश भी पारित किया है। यह वास्तव में एक सराहनीय और ऐतिहासिक पहल है। मुख्य न्यायधीश के उक्त दौरे के बाद 11 पृष्ठ की एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसे उच्चतम न्यायालय के सेक्रेट्री जनरल ने पारित भी कर दिया है। इसमें न्यायापालिका हेतु एलोकेटेड फंड, विकास योजना के आंकड़े तथा वर्ष 10-11 में इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु सिफारिशें जो कि केंद्रीय विधि मंत्रालय से कार्यालयीन पत्राचार एवं विभिन्न अधिवक्ता संघों द्वारा प्रेषित पत्रों के आधार पर तैयार की गई है। बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन और प्रसिद्ध विधिवेत्ता फली एस.नरीमन ने भी न्यायमित्र के रूप में इस रिपोर्ट को तैयार करने में अपना विद्वतापूर्ण सहयोग दिया है। मुख्य न्यायाधीश के दौरे के बाद तैयार की गई रिपोर्ट में यह बात साफ तौर पर सामने आई है कि वे निजी तौर पर इस बात के पक्षधर हैं कि न्यायालयों द्वारा जो राजस्व उत्पन्न किया जाता है, उन्हें न्यायालय की आधारभूत संरचना के विकास में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। न्यायालयों में सुविधाओं में बढ़ोतरी से अधिवक्ताओं और पक्षकारों को सुविधाएं प्राप्त हो सकेगी। जो शीघ्र न्याय हेतु सहायता करेगी। उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रत्येक प्रदेश तथा केंद्र शासित राज्यों के प्रमुख सचिवों अथवा प्रशासकों को तलब किया जाएगा तथा उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों तथा महाधिवक्ताओं को भी पार्टी बनाया जा सकेगा।
मुख्य न्यायाधीश ने सरकार द्वारा अधीनस्थ न्यायालयों को लैपटॉप प्रदान करने हेतु 108 करोड़ रूपए प्रदान किए जाने का जिक्र करते हुए कहा है कि बिना जनरेटरों की उपलब्धता के लैपटॉप का उचित उपयोग नहीं हो सकेगा। उक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि 2903 अधीनस्थ न्यायालयों में से केवल 562 के पास 28 फरवरी तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जनरेटर की सुविधा है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि निम्न न्यायालयों हेतु लगने वाली कुल अधोसंरचना राशि 7077 करोड़ होगी जिसमें 10-11 में ही 2162 करोड़ राशि की जरूरत पड़ेगी।
शकील अहमद सिद्दीकी 'मार्शल'
भिलाई नगर