बिलासपुर हाईकोर्ट की डिविजन बैंच ने जलसंसाधन विभाग के गेंगमैनों के ६२ वर्ष में सेवानिवृत्ति के आदेश को खारिज कर दिया है। एकल बैंच के निर्णय पर शासन की अपील के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है।
दुर्ग निवासी केसराम पटेल ने वर्ष २००८ में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा कि वह जल संसाधन विभाग दुर्ग में स्थाई गेंगमैन है। उसने ६० के बजाय ६२ वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने की मांग की। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उसे स्थाई गेंगमैन मानते हुए ६२ वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने का आदेश पारित किया। इसके बाद जल संसाधन विभाग के कई गेंगमैनों ने ६२ वर्ष की आयु में रिटायर करने के लिए आवेदन लगाया। एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट की युगलपीठ में अपील की। इसमें बताया गया कि केसराम पटेल कभी भी जल संसाधन विभाग में स्थाई गेंगमैन नहीं रहा। वह दैनिक वेतनभोगी के रूप में लेबर का काम कर रहा था। जस्टिस आईएम कुद्दुसी एवं जस्टिस प्रशांत मिश्रा की युगलपीठ ने शासन के तर्क से सहमत होते हुए एकलपीठ के आदेश को खारिज कर दिया। अगली सुनवाई के लिए प्रकरण को फिर से एकलपीठ में भेजा गया है।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद शासन को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। आदेश को आधार बताते हुए कई अपात्र लोगों ने भी ६२ वर्ष की आयु में रिटायर्ड करने के लिए आवेदन लगा कर इसका लाभ प्राप्त कर लिया है। ज्ञात हो कि स्थाई कर्मचारियों को ग्रेच्युटी एवं पेंशन भुगतान करना होता है।
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