दंत चिकित्सक की संविदा नियुक्ति तिथि को आगे बढ़ाने संबंधी आवेदन पर विचार नहीं कर नई नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किए जाने के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने शासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
छत्तीसगढ़ शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग ने १६ नवंबर २००३ की अनुमति के आधार पर २ मार्च को डॉ. कमल किशोर राय की संविदा नियुक्ति २ वर्ष के लिए की थी। इस बीच राज्य शासन ने संविदा भर्ती नियम २००४ बनाया। इधर, दंत चिकित्सक डॉ. राय को २२ दिसंबर २००४ को पुनः संविदा नियुक्ति दी गई। २००१ से ५ मई २०१० तक उनकी संविदा नियुक्ति को बढ़ाई गई। सेवा अवधि पूर्ण होने से पहले उन्होंने २० अप्रैल २०१० को संविदा अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन दिया। इस पर विचार किए बिना राज्य शासन ने ११ जून २०१० को दंत चिकित्सक के पदों में संविदा नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया। इसमें डॉ. राय के धारित पद को भी शामिल किया गया। उक्त भर्ती प्रक्रिया में उम्र सीमा ३५ वर्ष तथा संविदा में कार्यरत् अनुभव रखने वालों को चयन में प्राथमिकता दिए जाने का प्रावधान रखा गया। डॉ. राय ने ९ वर्ष तक संविदा में सेवा देने के बाद निर्धारित आयु सीमा को पार कर लिया है। विज्ञापन से व्यथित होकर उन्होंने अधिवक्ता जितेंद्र पाली, वरुण शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका पेश की। इसमें कहा गया कि स्थापित सिद्धांत है कि संविदा में कार्यरत् कर्मचारी को नियमित नियुक्ति द्वारा ही हटाया जा सकता है। इस पद में किसी अन्य कर्मचारी की संविदा नियुक्ति नहीं की जा सकती। याचिका पर जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की एकलपीठ में सुनवाई हुई। पीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर शासन को नोटिस जारी कर ४ सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।