छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के तहसील बेमेतरा में अशोक कुमार साहू एएसजे (एफटीसी) के न्यायालय में बहुचर्चित संबलपुर हत्याकांड का फैसला सुनाया गया। पवन कुमार की हत्या के सभी ७ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। इस मामले में पिछले तीन वर्षों से सुनवाई चल रही थी। घटना के अनुसार २८ अगस्त ०७ को संबलपुर के बस स्टैंड में रात्रि करीब १० बजे दो समूहों के बीच लड़ाई हुई थी। दोनों पक्ष के बीच बस कंपनी के टाइमिंग के आधार पर पुरानी रंजिश थी।
घटना दिनांक के दिन रात्रि में मयंक सोनी के घर उसकी बहन से राखी बंधवाने उसके मित्र श्रीकांत, सुभाष, मनीष चौबे, रामाधार रजक, लक्ष्मण यादव, अतीश चौबे एवं पवन ठाकुर गए हुए थे, जो राखी बंधवाने के पश्चात बस स्टैंड में घूमने गए। सुबह हुई घटना को लेकर आरोपी सुरेश डेहरे व उसके साथी रमेश डेहरे, सूर्या, अवधेश, अवध, संदीप, सुभाष आदि ने रमेश डेहरे के नेतृत्व में मार्शल जीप से आकर विपक्षी समूह पर लाठी व घातक हथियारों से वार कर दिया। पवन ठाकुर व पवन वर्मा को जबरदस्ती पकड़ कर सुरेश डेहरे के वाहन में डाल दिया गया। पवन वर्मा जान बचाकर भाग गया, परंतु जेवरा निवासी पवन ठाकुर उनकी गिरफ्त में रहा जिस पर घातक हथियारों से प्रहार कर उसकी हत्या कर दी गई। प्रकरण में न्यायालय ने धारा ३०२ भादंवि के अंतर्गत सभी आरोपियों को आजीवन सश्रम कारावास, ३००० रुपए अर्थदंड व धारा ३६४ भादंवि में ७-७ वर्ष के कठोर कारावास व २००० रुपए (प्रत्येक को) अर्थदंड व धारा १४७ भादंवि में १-१ वर्ष के कठोर कारावास की सजा व हत्या में प्रयुक्त वाहनों को राजसात करने की सजा दी गई। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक रोहित सिंह ठाकुर ने पैरवी की।