रायपुर निवासी किशोरी १४ अगस्त १९९१ को पड़ोसी के घर से चित्रहार देख कर लौट रही थी। रास्ते में उसका सुकरधन पनका ने अपहरण कर साथ ले गया और बलात्कार करने के बाद उसे छोड़ दिया। किशोरी ने इसकी रिपोर्ट पुलिस में लिखाई। पुलिस ने धारा ३६३, ३६६, ३७६ के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। २१ सितंबर १९९३ को रायपुर के पंचम अपर सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को ३ वर्ष की सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए पंचम अपर सत्र न्यायाधीश के फैसले को यथावत रखने का आदेश दिया है।रायपुर निवासी किशोरी १४ अगस्त १९९१ को पड़ोसी के घर से चित्रहार देख कर लौट रही थी। रास्ते में उसका सुकरधन पनका ने अपहरण कर साथ ले गया और बलात्कार करने के बाद उसे छोड़ दिया। किशोरी ने इसकी रिपोर्ट पुलिस में लिखाई। पुलिस ने धारा ३६३, ३६६, ३७६ के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। २१ सितंबर १९९३ को रायपुर के पंचम अपर सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को ३ वर्ष की सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए पंचम अपर सत्र न्यायाधीश के फैसले को यथावत रखने का आदेश दिया है।
सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ कुकर्मियों द्वारा दायर एक अन्य याचिका को जस्टिस टीपी शर्मा ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा है। बस्तर के भानुप्रतापपुर निवासी किशोरी १२ मई १९८९ को खेल कर अपने घर जा रही थी। रास्ते में दिलीप एवं शंभुराम उसे बहला कर ट्रक में बैठाकर धमतरी ले गए। धमतरी में दोनों ने उसके साथ कुकर्म किया। इसके बाद दूसरे दिन उसे भानुप्रतापपुर लाकर छोड़ दिया गया। किशोरी ने इसकी जानकारी अपने माता-पिता को दी। रिपोर्ट पर पुलिस ने मेडिकल कराने के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। बस्तर के प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने १६ जनवरी १९९१ को दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आरोपियों को धारा ३६३, ३६६, ३७६, ३४ के तहत ५-५ वर्ष कारावास की सजा से दंडित किया। आरोपियों ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। सुनवाई उपरांत जस्टिस श्री शर्मा ने अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसला को यथावत रखा है।
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