बस्तर के बीजापुर जिले के मतवाड़ा रिलीफ केंद्र में पुलि बल ने एनकांउटर किया। इसमें मडा मरकामी, देवा एवं किन्दुआय की मौत हो गई, जबकि समडू घायल हो गया। मारे गए तीनों ग्रामीणों की पत्नियों आयाती मरकामी, बिज्जे तथा हुंगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फर्जी एनकाउंटर कर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करने के बात कहते हुए २५-२५ लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर शासन से जवाब मांगा। कुछ दिनों बाद हाईकोर्ट में इस मामले की फिर से सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मुआवजा संबंधी नीति के तहत प्रभावित बेवाओं को एक-एक लाख रूपए मुआवजा देने का आदेश दिया। इसके बाद भी मुआवजा नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट ने १७ जून २०१० को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। शासन ने अपने जवाब में कहा कि तीनों को एक-एक लाख रुपए मुआवजा स्वीकृत किया गया है।
मृतकों के आश्रितों द्वारा संबंध सिद्ध करने कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाने के कारण भुगतान नहीं किया गया। इस पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा कि शासन तीनों बेवाओं को मृतकों की पत्नी मान रहा है। इस कारण से मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को २६ जुलाई को बीजापुर एसडीएम कार्यालय में उपस्थित होकर मुआवजा प्राप्त करने के निर्देश दिए हैं।
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