बिलासपुर हाईकोर्ट ने अनुदान प्राप्त स्कूल के शिक्षक को व्याख्याता के पद पर प्रमोशन देने का आदेश दिया है। प्रकरण के अनुसार रायपुर निवासी जीएस मक्कड़ की नियुक्ति अनुदान प्राप्त एसएस कालीबाड़ी स्कूल में व्याख्याता पद के विपरीत उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर १९८५ में हुई थी। पूरी योग्यता होने के बाद भी व्याख्याता पद की भर्ती में प्रतिबंध होने के कारण वे यूटीडी के पद पर कार्यरत रहे। १९९१ में उनकी फ्रेश नियुक्ति की गई। इसके बाद विधिवत् उन्हें १९९३ में प्रमोशन देकर व्याख्याता बना दिया गया।
प्रबंधन ने व्याख्याता पद को अनुमोदन के लिए डीपीआई को प्रेषित किया। डीपीआई ने यह कहते हुए पद को अनुमोदन करने से इनकार कर दिया कि उनका प्रमोशन कला संकाय में हुआ है। अनुमोदन नहीं किए जाने पर उन्होंने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका पेश की। जिसमें कहा गया कि २६ अगस्त १९७१ के आदेश में संस्था को यह अधिकार है कि गणित, विज्ञान व कला में परिर्वतन कर व्याख्याता के पद पर प्रमोशन दिया जा सकता है। जस्टिस आईएम कुद्दुसी व जस्टिस एनके अग्रवाल ने अधिवक्ता के तर्क से सहमत होते हुए डीपीआई को याचिकाकर्ता के पद को अनुमोदित करने का आदेश दिया है। डीपीआई से अनुमोदन नहीं मिलने के कारण श्री मक्कड़ व्याख्याता होते हुए भी उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर काम कर रहे थे।