Jun 19, 2010

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पीजी मेडिकल प्रवेश की दूसरी कांउसिलिंग पर रोक एमसीआई का आदेश रद्द

बिलासपुर हाईकोर्ट ने एमसीआई के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में २० जून के बाद होने वाली काउंसिलिंग पर एमसीआई ने रोक लगा दी थी। कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज को काउंसिलिंग आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। वर्ष २००९ में पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में पीजी के लिए काउंसिलिंग हुई थी। इसमें कॉलेज के मेरिटोरियस डॉक्टर वंचित हो गए थे। इस पर डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में वाद दायर किया। कोर्ट ने प्रकरण को निराकृत कर दिया। इसके बाद आगामी २० जून को द्वितीय काउंसिलिंग करने की तारीख तय की गई।एमसीआई ने एक पत्र जारी कर २० जून के बाद पीजी के लिए काउंसिलिंग करने पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए रोक लगा दी। एमसीआई के आदेश के खिलाफ डॉ. वासुदेव, डॉ. केएल उरांव सहित ९ डॉक्टरों ने अधिवक्ता सेमकोशी व वैभव शुक्ला के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस पर सोमवार को जस्टिस आईएम कुद्दुसी व जस्टिस एनके अग्रवाल की संयुक्त पीठ में सुनवाई हुई।

याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए उन्होंने अपने आदेश में कहा कि शिक्षण सत्र व विद्यार्थियों के हित में प्रबंधन तय समय के बाद भी काउंसिलिंग कर सकता है। उन्होंने एमसीआई के आदेश को निरस्त करते हुए काउंसिलिंग करने का आदेश दिया है।हाईकोर्ट ने एमसीआई के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में २० जून के बाद होने वाली काउंसिलिंग पर एमसीआई ने रोक लगा दी थी। कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज को काउंसिलिंग आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। वर्ष २००९ में पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में पीजी के लिए काउंसिलिंग हुई थी। इसमें कॉलेज के मेरिटोरियस डॉक्टर वंचित हो गए थे। इस पर डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में वाद दायर किया। कोर्ट ने प्रकरण को निराकृत कर दिया। इसके बाद आगामी २० जून को द्वितीय काउंसिलिंग करने की तारीख तय की गई।एमसीआई ने एक पत्र जारी कर २० जून के बाद पीजी के लिए काउंसिलिंग करने पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए रोक लगा दी। एमसीआई के आदेश के खिलाफ डॉ. वासुदेव, डॉ. केएल उरांव सहित ९ डॉक्टरों ने अधिवक्ता सेमकोशी व वैभव शुक्ला के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस पर सोमवार को जस्टिस आईएम कुद्दुसी व जस्टिस एनके अग्रवाल की संयुक्त पीठ में सुनवाई हुई।

याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए उन्होंने अपने आदेश में कहा कि शिक्षण सत्र व विद्यार्थियों के हित में प्रबंधन तय समय के बाद भी काउंसिलिंग कर सकता है। उन्होंने एमसीआई के आदेश को निरस्त करते हुए काउंसिलिंग करने का आदेश दिया है।

विदित हो कि मेडिकल शिक्षा विभाग ने बीते १४ मार्च को चिकित्सा स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए प्री-पीजी प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी। इसके बाद १५ मार्च को मॉडल आंसर जारी किया गया। इसमें १० उत्तरों को गलत करार देते हुए परीक्षार्थियों ने आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद १९ अप्रैल को दूसरा मॉडल आंसर जारी किया गया। इसमें १०० प्रश्नों में से ८ के उत्तर ही नहीं थे और १० प्रश्नों के उत्तर गलत होने के आरोप लगाए गए। इसके बाद भी प्रावीण्य सूची जारी कर दी गई। इस पर डॉ. अरुण कुमार खेड़िया व डॉ. ठंडाराम पटेल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि प्रावीण्य सूची में डॉ. खेड़िया का रैंक ९ तथा डॉ. पटेल का रैंक १७ है। याचिका में १० प्रश्नों के गलत उत्तर को भी प्रस्तुत किया गया। इसके सही जवाब भी बताए गए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य शासन एवं डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को नोटिस जारी कर ६ सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। याचिका को १४ जून से प्रारंभ होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए रखा गया।

जस्टिस आईएम कुद्दुसी एवं जस्टिस एनके अग्रवाल की युगलपीठ में सोमवार को याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान शासन व चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पहली काउंसिलिंग ३१ मई को हो गई है। दूसरी काउंसिलिंग जून के अंतिम सप्ताह में रखी गई है। याचिकाकर्ताओं के वकील के तर्क से सहमत होते हुए युगलपीठ ने प्रकरण को निराकृत कर डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत उत्तरों का प्रतिपरीक्षण किया जाए। यदि इनका उत्तर सही है, तो उत्तरपुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करने के बाद काउंसिलिग की जाए।

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