नियमों की गलत व्याख्या कर प्री-पीजी मेडिकल प्रवेश के लिए अधिक अंक देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने शासन को दो दिनों के भीतर प्रकरण को निराकृत करने का आदेश दिया है।
डॉ. अनिल विवेक ने अधिवक्ता जितेंद्र पाली एवं वरुण शर्मा के माध्यम से प्री-पीजी मेडिकल परीक्षा में अभ्यर्थियों को बोनस अंक देने के नियम को चुनौती दी है। इसमें कहा गया है कि छत्तीसगढ़ शासन ने प्री-पीजी प्रवेश के लिए १४ मार्च २०१० को परीक्षा आयोजित की थी। ९ अप्रैल को इसके नतीजे घोषित किए गए। छत्तीसगढ़ चिकित्सा स्नातकोत्तर प्रवेश नियम २००४ के नियम ९ में उल्लेख है कि समान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को ५० प्रतिशत अंक, एससी, एसटी के लिए ४० प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। इसके अलावा शासकीय सेवा में कार्यरत् चिकित्सकों को २० प्रतिशत अतिरिक्त बोनस अंक दिया जाना है। शासन ने बोनस अंक देने की गलत व्याख्या करते हुए बोनस अंक दिया है। इसके कारण कई लोगों को दूसरे अभ्यार्थियों से अधिक अंक प्राप्त हुए हैं। सोमवार को याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को २९ जून तक राज्य शासन के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने तथा शासन को ३० जून तक अभ्यावेदन को निराकृत करने का आदेश दिया है।