Jun 23, 2010

एक चुनाव याचिका पर हो रही ७ साल से सुनवाई

बिलासपुर हाईकोर्ट में एक चुनाव याचिका पर पिछले सात साल से सुनवाई हो रही है। जिस वक्त यह याचिका दायर की गई थी, विधानसभा का वह कार्यकाल कब का खत्म हो चुका है। दूसरे कार्यकाल को लगभग डेढ़ वर्ष भी पूरे होने जा रहा है। डिवीजन बेंच ने एक बार फिर सुनवाई की तिथि बढ़ा दी है। अब याचिका पर सुनवाई १२ जुलाई को होगी।

सन्‌ २००३ के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नंदकुमार साय को अपना उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी उम्मीदवार थे। विधानसभा चुनाव में २० हजार से अधिक मतों से पराजित होने के बाद श्री साय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनकी जाति को चुनौती दी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि श्री जोगी गैर आदिवासी हैं। मरवाही विधानसभा की सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रखी गई है। आदिवासी विकास परिषद के निर्णय का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि परिषद के अनुसार श्री जोगी आदिवासी नहीं है। लिहाजा उनके निर्वाचन को शून्य घोषित किया जाए। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस आईएम कुद्दुसी व जस्टिस नवलकिशोर अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने चुनाव याचिका पर सुनवाई के लिए १२ जुलाई की तिथि निर्धारित की है। यहां यह बताना लाजिमी है कि श्री साय द्वारा विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद श्री जोगी के खिलाफ चुनाव याचिका दायर की थी। पिछले ७ साल से इस याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। इस दौरान एक और विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो गया। सन्‌ २००३ में भी श्री जोगी मरवाही विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। वर्तमान कार्यकाल में भी वे इसी सीट से विधायक हैं। हालांकि श्री साय द्वारा दायर इस याचिका की विधानसभा चुनाव के निर्वाचन को शून्य घोषित करने जैसी मांग की कोई औचित्य नहीं है, पर इस याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा दिए जाने वाले फैसले के दूरगामी राजनीतिक परिणाम सामने आएंगे। श्री जोगी के जाति को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। हाईकोर्ट में चुनाव याचिका के अलावा भाजपा नेता संतकुमार नेताम द्वारा उनकी जाति को सीधे तौर पर चुनौती देते हुए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया गया है। श्री जोगी के जाति संबंधी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है।

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