Jun 19, 2010

नियुक्ति रद्द करने पर पुनर्विचार के निर्देश : बीजापुर जिले की जपं भोपलपटनम का मामला

जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की एकलपीठ ने शिक्षाकर्मी वर्ग-३ की नियुक्ति निरस्त किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका को निराकृत करते हुए भोपलपटनम जनपद सीईओ को उसकी नियुक्ति निरस्त करने पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए हैं।

ज्ञात होकि शशिप्रभा सिंह की नियुक्ति बीजापुर जिले की जनपद पंचायत भोपलपटनम में शिक्षाकर्मी वर्ग ३ के पद पर वर्ष २००६ में हुई थी। २००८ में उसे नियमित भी कर दिया गया। शिक्षाकर्मी वर्ग-३ की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत पर कलेक्टर ने जांच आरंभ की। जांच रिपोर्ट के आधार पर १४ शिक्षाकर्मियों को अलग-अलग कारण बताते हुए नोटिस जारी किया गया। शशिप्रभा सिंह को वर्ष २००९ में मिले नोटिस में कहा गया कि उसने खेलकूद का प्रमाणपत्र आवेदन में संलग्न नहीं किया है। इसके बाद भी उसे बोनस अंक का लाभ मिला है। इस पर उसने बताया कि आवेदन जमा करने के बाद उसने पावती ली थी। इसे जवाब के साथ उसने प्रस्तुत किया। इसके बाद भी अक्टूबर २००९ में उसकी नियुक्ति नियम विरुद्ध होने तथा नियुक्ति निरस्त करने योग्य होने की बात कहते हुए नोटिस दिया गया। इस पर उसने सूचना के अधिकार के तहत नियुक्ति संबंधी दस्तावेज एकत्र करने करने में समय लगने का हवाला देते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। कलेक्टर द्वारा असहमति व्यक्त करने पर उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। इसमें उक्त नोटिस तथा प्रक्रिया को पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने के कारण निरस्त करने की मांग की गई है।

प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित होने के बाद भी भोपलपटनम ब्लॉक के सीईओ ने उसकी सेवा समाप्त कर दी। इसी दौरान सेवा से अलग हुए अन्य शिक्षाकर्मियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने सीईओ को सेवा समाप्त करने के आदेश को प्रभाव में नही लाते हुए संपूर्ण प्रकरण पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश पर सीईओ को शशिप्रभा के प्रकरण में भी पुनर्विचार किया जाना था, किन्तु सीईओ ने अन्य शिक्षाकर्मियों को सेवा में बहाल किया गया, जबकि शशिप्रभा को यह कहकर भगा दिया गया कि उसके प्रकरण में हाईकोर्ट से कोई आदेश नहीं आया है। इस पर उसने अधिवक्ता जितेंद्र पाली, वरुण शर्मा, अभिनव करडेकर के माध्यम से हाईकोर्ट में पुनः याचिका लगाई। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने भोपालपट्टनम ब्लॉक के सीईओ को प्रकरण पर भी पुनर्विचार करने के निर्देश देते हुए याचिका को निराकृत कर दिया।

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