नक्सली महिला को अपने घर पर रखने के साथ ही पहचान छिपाने में मदद करने वाले एक दंपति की जमानत याचिका बिलासपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। सिंगल बेंच ने निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखा है।
दुर्ग जिले के ग्राम नेवई निवासी सुनीता वर्मा व भोलराम वर्मा ने बलरामपुर में अनेक नक्सली वारदात को अंजाम देने वाली ज्योति को लंबे समय तक अपने घर पर पनाह दी थी। साथ ही जिला मुख्यालय दुर्ग में उसे छिपाकर रखने में उक्त महिला की काफी मदद की थी। इसके चलते जिला मुख्यालय में रहकर नक्सली महिला ने अपनी गतिविधियों को बखूबी अंजाम दिया। दुर्ग में रहकर जब वह नक्सली गतिविधियां चला रही थी उसी वक्त मुखबिर की नजर उस पर पड़ी। मुखबिर ने इसकी सूचना पुलिस के आला अफसरों को दी। १६ फरवरी २००९ को पुलिस ने दुर्ग स्थित उसके ठिकाने पर छापा मारा। तलाशी के दौरान घर से नक्सली साहित्य के अलावा नक्सल आंदोलन से संबंधित पाम्पलेट जब्त किए गए। नक्सली महिला को घर पर पनाह देने के आरोप में पुलिस ने वर्मा दंपति को छत्तीसगढ़ विशेष सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर जिला न्यायालय दुर्ग में पेश किया था। मामले की सुनवाई के बाद जिला कोर्ट ने वर्मा दंपति को जेल भेज दिया था। नक्सल गतिविधियों में अपनी संलिप्तता से इनकार करते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस मनींद्र श्रीवास्तव के सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जस्टिस श्री श्रीवास्तव ने याचिका खारिज कर दी है।