Apr 20, 2010

वकील की वकालत करने पर प्रतिबंध : स्टेट बार कौंसिल की बैठक में हुआ निर्णय

दूसरी बार रकम लेने के बाद भी पैरवी नहीं करने की शिकायत पर छत्तीसगढ स्टेट बार कौंसिल ने बलौदाबाजार के वकील की प्रैक्टिस करने पर तीन वर्ष के लिए रोक लगा दी है। इस अवधि तक वे किसी भी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते हैं।

स्टेट बार कौंसिल ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि बलौदाबाजार के वकील संजय गुप्ता के खिलाफ रायपुर जिले के बिलाईगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम धनसीर निवासी श्रीमती बोधिन बाई पति सम्मेलाल साहू ने छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद बिलासपुर से शिकायत की थी कि एक प्रकरण में आवेदिका बोधिन की मां ने बलौदाबाजार न्यायालय में पैरवी करने के लिए वकील संजय गुप्ता को फीस, वकालतनामा सहित अन्य दस्तावेज दिए थे। इसी बीच उसकी मां की मौत हो गई। प्रकरण में न्यायालय से फैसला नहीं आने पर वकील ने बोधिन से पुनः ८० हजार व ३० हजार रुपए फीस लेने के बाद उसके पक्ष में फैसला कराने की गारंटी दी। प्रकरण की सुनवाई के दौरान श्री गुप्ता स्वयं ने उपस्थित होने के बजाय दूसरे वकील को खड़ा कर दिया। बाद में फीस लेकर भी पैरवी करने से इनकार कर फाइल वापस कर दी गई। इसे गंभीरता से लेते हुए परिषद ने अनुशासन समिति के पास शिकायत को भेजा। समिति के अध्यक्ष पदम अग्रवाल, सदस्य कोषराम साहू एवं सह सदस्य रजनीश निषाद ने शिकायत की जांच की। इसमें वकील श्री गुप्ता पर लगाए गए आरोप सिद्ध पाए गए। बीते १८ अप्रैल को अधिवक्ता अधिनियम १९६१ की धारा ३५ (३) स के तहत तीन वर्ष के लिए विधि व्यवसाय से उन्हें निलंबित किया गया है।

My Blog List