बिलासपुर हाईकोर्ट ने साले के हत्यारे की सजा को यथावत रखने का आदेश दिया है। निचली अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा से दंडित किया है। दुर्ग जिले के अर्जून्दा थाना क्षेत्र के ग्राम तिरगा निवासी जगन्नाथ प्रसाद मेहर ९ जनवरी १९९१ को अपने साला शिवकुमार व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मड़ाई देखने जलबांधा गया था। वापसी में उसने परिवार के अन्य सदस्यों को बस से गांव के लिए रवाना किया और वह अपने साला शिवकुमार के साथ बाइक से गांव लौट रहा था। रास्ते में खुखरी मारकर उसने अपने साले की हत्या कर दी। इसके बाद खुद थाना पहुंचा और पुलिस को गुमराह करने सड़क दुर्घटना में शिवकुमार की मौत होने की जानकारी दी। सूचना पर पुलिस ने मौका मुआयना किया। इसमें कहीं पर भी दुर्घटना में मौत होने की बात सामने नहीं आई। पीएम रिपोर्ट में धारदार हथियार से वार करने पर मौत होने की पुष्टि हुई। इसके बाद पुलिस ने जगन्नाथ प्रसाद से कड़ाई से पूछताछ की। इसमें वह टूट गया। उसने हत्या करने की बात स्वीकार की। पुलिस ने धारा ३०२, २०१ के तहत जुर्म दर्ज कर आरोपी को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने उसे हत्या पर उम्रकैद तथा साक्ष्य छिपाने के आरोप में ३ वर्ष एवं २०० रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। मुजरिम ने सजा माफी के लिए हाईकोर्ट में अपील की।
इस पर जस्टिस टीपी शर्मा एवं जस्टिस आरएल झंवर की बेंच में सुनवाई हुई। शासन की ओर से अधिवक्ता अशीष शुक्ला ने पैरवी करते हुए निचली अदालत की सजा को उचित दंड होना बताया। सुनवाई उपरांत युगलपीठ ने अपील को खारिज करते हुए सजा को यथावत रखा है।