बस्तर के बहुचर्चित मालिक मकबूजाकांड के एक आरोपी को बिलासपुर हाईकोर्ट से जमानत मिली है। वर्ष १९९३ में बस्तर के अधिकारी एवं नेताओं ने मिलकर बस्तर के जंगलों से बड़े पैमाने पर साल, शीशम, सराई सहित अन्य पेड़ों को काट दिया था। पूरा जंगल साफ किए जाने का मामला मालिक मकबूजा को लेकर संसद तक हल्ला हुआ था। हंगामे के बाद तत्कालीन मप्र सरकार ने कमेटी गठित कर मामले की जांच कराई। जांच में इस प्रकरण में जिला स्तर के अधिकारी सहित क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आए। मामले में बस्तर के वीरेन्द्र नेताम को भी आरोपी बनाया गया।
सरकार ने न्यायालय में विभिन्न धाराओं के तहत चालान पेश किया। इसमें अलग- अलग धाराओं में वीरेन्द्र नेताम को दो व तीन वर्ष की कैद तथा २००० रुपए अर्थदंड की सजा हुई। सजा होने पर उसने जमानत के लिए निचली अदालत में आवेदन दिया। इसके खारिज होने पर उसने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। इस पर जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की एकलपीठ में सुनवाई हुई। उन्होंने आरोपी की अर्जी को स्वीकार कर जमानत दे दी है।