लोक-लाज के भय से नवजात की हत्या करने वाली मां की सजा को बिलासपुर हाईकोर्ट ने बरकरार रखने का आदेश दिया है। कोरिया जिले के सोनहत थाना क्षेत्र के ग्राम सुंदरपुर निवासी इंद्रकुंवर पिता राय सिंह पति के छोड़ देने पर मायके में भाई के घर के पास अलग मकान लेकर रह रही थी। १४ सितंबर २००४ को गांव में ही रहने वाले जेल सिंह ने उसके घर के पास नवजात के शव को देखा। उसने अन्य ग्रामीणों सहित कोटवार को इसकी जानकारी दी। कोटवार ने सोनहत थाने को सूचना दी। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने मर्ग कायम किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पीएम रिपोर्ट में नवजात के सिर व शरीर में चोट आने से मौत होने की पुष्टि हुई। विवेचना में पुलिस को इंद्रकुंवर की गर्भवती होने की जानकारी मिली।
पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उसकी जांच कराई। इसमें महिला के प्रसव होने की पुष्टि हो गई। पूछताछ में महिला ने बताया कि गांव के ही बैगा गोंड से अवैध संबंध के चलते वह गर्भवती हुई थी। लोक-लाज के भय से उसने नवजात को फेंकने की बात स्वीकार की। पुलिस ने धारा ३०२ के तहत जुर्म दर्ज न्यायालय में चालान पेश किया, जहां सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश ने नवजात की हत्या के आरोप में महिला को उम्रकैद की सजा सुनाई। अपर सत्र न्यायालय के आदेश के विरूद्ध उसने हाईकोर्ट में अपील की। शासन की ओर से अधिवक्ता आशीष शुक्ला ने पैरवी की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपर सत्र न्यायालय के आदेश को यथावत रखा है।