रिकार्ड में गड़बड़ी करने के आरोप में बर्खास्त पटवारी को १८ साल बाद बिलासपुर हाईकोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने राज्य शासन को नौकरी में वापस लेने तथा बर्खास्तगी अवधि का सभी लाभ को देने का आदेश दिया है।
बस्तर के कांकेर निवासी प्रबल कुमार पीटर की वर्ष १९८३ में बस्तर में पटवारी के पद में नियुक्ति हुई। वह बंदोबस्त अधिकारी के अधिन कार्यरत् था। वर्ष १९९२ में एक जमीन घोटाले के मामले में पटवारी पीटर, आरआई तथा तहसीलदार के खिलाफ कांकेर पुलिस ने आपराधिक प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। बंदोबस्त अधिकारी ने पटवारी, आरआई व तहसीलदार को २४ जनवरी १९९२ में कार्यमुक्त कर दिया। बंदोबस्त अधिकारी के इस आदेश पर रोक लगाने विभागीय पत्र व्यवहार किया गया। विभाग से कोई जवाब नहीं मिलने पर सेट में वाद दायर किया गया।
सेट में भी न्याय नहीं मिलने पर उसने मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर की। राज्य विभाजन के बाद प्रकरण को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भेजा गया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि उसकी नियुक्ति कलेक्टर ने की थी। इसलिए कलेक्टर को ही बर्खास्त सहित अन्य कार्रवाई करने का अधिकार है। बंदोबस्त अधिकारी को इस कार्य के लिए अधिकृत नहीं किया गया था। वहीं, प्रकरण में फंसे आरआई व तहसीलदार को कार्य पर वापस ले लिया गया है। हाईकोर्ट ने उसके तर्क से सहमत होते हुए राज्य शासन को याचिकाकर्ता को कार्य में रखने व उसे सम्पूर्ण लाभ देने का आदेश दिया है। प्रकरण में अधिवक्ता मनोज दुबे एवं जितेंद्र गुप्ता ने पैरवी की।