Apr 13, 2010

पंचायत सचिव को हाईकोर्ट का नोटिस

शिक्षाकर्मी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने 36गढ पंचायत एवं ग्रामीण विकास के सचिव तथा संचालक पंचायत को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने संचालक पंचायत द्वारा अनुभव प्रमाणपत्र को फर्जी करार देने को चुनौती दी है।

मामला बिलासपुर जिले की जनपद पंचायत मस्तूरी का है। यहां के तुलसीराम श्रीवास ने वकील मतीन सिद्दीकी व जितेंद्र पाली के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शिकायत की है कि १३ जुलाई २००६ को जनपद पंचायत मस्तूरी में शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के पद पर उसकी नियुक्ति की गई थी। याचिका के अनुसार मस्तूरी सीईओ ने ३१ अगस्त २००७ को उसे सेवा समाप्ति का आदेश थमा दिया। इसमें उसके द्वारा पेश किए गए अनुभव प्रमाणपत्र को फर्जी करार दिया गया था। सीईओ के आदेश के खिलाफ अतिरिक्त कलेक्टर के कोर्ट में आवदेन लगाया गया था। अतिरिक्त कलेक्टर ने सीईओ के आदेश को यथावत रखा। अतिरिक्त कलेक्टर के आदेश को संचालक पंचायत के यहां चुनौती दी गई थी। संचालक पंचायत ने अतिरिक्त कलेक्टर के आदेश को सही ठहराया। याचिकाकर्ता ने संचालक पंचायत की शिकायत करते हुए कहा है कि सही तरीके से उनके पक्षों को सुने बिना एकतरफा फैसला दे दिया गया है। याचिका के अनुसार उसने मस्तूरी ब्लॉक के दर्राभाठा स्कूल में बतौर जनभागीदारी शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। जिला शिक्षाधिकारी के कार्यालय में जिले के जनभागीदारी स्कूलों व वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की सूची में उसका नाम भी शामिल है। इसके बाद भी उसके द्वारा पेश किए गए अनुभव प्रमाणपत्र को फर्जी करार देना गलत है। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में हुई। हाईकोर्ट ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास के सचिव के अलावा संचालक पंचायत, एडिशनल कलेक्टर बिलासपुर व सीईओ जनपद पंचायत मस्तूरी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता ने इन सभी आला अधिकारियों को पक्षकार बनाया है।

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