Apr 9, 2010

बीएसपी में ६० करोड़ के ठेके को लेकर विवाद

बिना टेंडर गुपचुप तरीके से चहेते ठेकेदार को उपकृत करने का आरोप
प्रक्रिया के तहत ठेका देने की मांग

भिलाई इस्पात संयंत्र में ६० करोड़ का ठेका बिना प्रक्रिया के देने का आरोप लगाते हुए एक कंपनी ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

भिलाई इस्पात संयंत्र सन्‌ १९७० से नियमित रूप से एक निजी ठेकेदार को ब्लास्ट फर्नेस के मकडम का ठेका दे रही है। एक वर्ष पहले सन्‌ २००९ में अंतिम टेंडर खत्म होने के बाद बिना टेंडर बुलाए इस्पात संयंत्र प्रबंधन एक अन्य कंपनी को ठेका देने की कार्रवाई कर रहा है। इसे देखते हुए एक अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस पर रोक लगाने तथा प्रक्रिया के तहत ठेका देने की मांग की है। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्रीय इस्पात मंत्रालय तथा लोक उद्यम विभाग से जवाब मांगा था। इसी तरह के एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीएसयू (पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग) के जरिए पर्चेंस पॉलिसी बनाने के निर्देश दिए थे। इसी के तहत लोक उद्यम विभाग ने इस्पात मंत्रालय के अलावा अन्य विभागों को पर्चेस प्रिफरेंस क्वालिटी के लिए निष्पक्ष कमेटी बनाने तथा समिति की सिफारिश के आधार पर आगे की कार्रवाई करने को कहा था। विभाग के निर्देश के बाद इस्पात मंत्रालय ने डायरेक्टर फाइनेंस की अध्यक्षता में कमेटी भी बना दी। समिति ने अपनी रिपोर्ट भी पेश कर दी थी। इसी बीच केंद्रीय इस्पात मंत्री ने १ फरवरी २०१० को सेंट्रल विजिलेंस कमेटी के दिशा निर्देशों का पालन करने व टेंडर के जरिए ठेके की कार्रवाई पूरी करने निर्देश दिए थे। याचिका में केंद्रीय इस्पात मंत्री के दिशा निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस्पात प्रबंधन निर्देशों की अवहेलना करते हुए गुपचुप तरीके से ठेका देने की कार्रवाई कर रहा है।

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