Apr 5, 2010

भिलाई स्थित मैत्री कॉलेज के बीएड प्रशिक्षार्थियों को मिली राहत

बिलासपुर हाईकोर्ट ने पं. रविशंकर यूनिवर्सिटी को आदेशित किया है कि भिलाई स्थित मैत्री कॉलेज के बीएड के विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल करें। यूनिवर्सिटी ने कार्यपरिषद की बैठक का हवाला देते हुए उन्हें परीक्षा में शामिल करने से इनकार कर दिया था।

भिलाई स्थित मैत्री कॉलेज प्रबंधन व बीएड के विद्यार्थियों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। इसमें कहा गया है कि कॉलेज को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से मान्यता मिली है। पहले यहां १०० सीट की अनुमति दी गई थी। इसके बाद २००९ से १०० अतिरिक्त सीटों पर प्रवेश की अनुमति मिल गई है। इसके आधार पर यहां २०० विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाना था, लेकिन पं. रविशंकर यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित सीटों को मानने से इनकार करते हुए अतिरिक्त १०० सीटों की मान्यता नहीं दी। इसके लिए कार्यपरिषद की बैठक में हुए निर्णय का हवाला दिया गया। इस पर कॉलेज प्रबंधन ने यूनिवर्सिटी के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी व राज्य शासन को संबद्धता देने का आदेश दिया था। इसके परिपालन में राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद ने प्रवेश के लिए अलग से काउंसिलिंग आयोजित की। इस दौरान ५१ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। बाद में कॉलेज में ५० छात्र-छात्राओं ने ही दाखिला लिया। याचिका में कहा गया कि कॉलेज प्रबंधन ने १५० विद्यार्थियों का नामांकन के साथ ही परीक्षा फार्म व शुल्क तय समय पर जमा कर दिया था, लेकिन यूनिवर्सिटी ने कॉलेज को मान्यता देने से इनकार करते हुए विद्यार्थियों का नामांकन पत्र जमा नहीं किया और न ही उनके परीक्षा फार्म स्वीकार किए गए। इसके चलते छात्रों को परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है और यूनिवर्सिटी प्रवेशपत्र भी नहीं दे रही है। याचिका में मामले में हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश का हवाला दिया गया। साथ ही विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए परीक्षा में शामिल कराने की मांग की गई। प्रकरण की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनीलकुमार सिन्हा ने सभी विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल करने के लिए पं. रविशंकर यूनिवर्सिटी को निर्देशित किया है। याचिकाकर्ता छात्रों की तरफ से वकील मनोज परांजपे और कॉलेज प्रबंधन की तरफ से वकील जितेंद्र पाली, मतीन सिद्दीकी और वरूण शर्मा ने पैरवी की।

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