Apr 1, 2010

हाईकोर्ट में विधिक सेवा अधिकारियों की कार्यशाला

छत्तीसगढ हाईकोर्ट के जस्टिस व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष धीरेंद्र मिश्रा ने वार्षिक कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यशाला में उक्त बातें कही। हाईकोर्ट के लाइब्रेरी सभाकक्ष में आयोजित इस कार्यशाला में उन्होंने विधिक सेवा अधिकारियों को प्रकरणों के निराकरण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि उन्हें आम जनता के दुख-दर्द को समझना होगा, तभी विधिक सेवा के कार्यों में गति आएगी। श्री मिश्रा ने अधिकारियों को अति संवेदनशील और सेवाभाव से काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों में राजीनामा के जरिए प्रकरणों के निराकरण में अधिवक्ता अधिक से अधिक सहयोग करें।

सेवाभावी बनें वकील : मिश्रा
जरूरतमंद और पीड़ित लोगों को त्वरित व सुलभ न्याय दिलाने के लिए विधिक सेवा की शुरुआत की गई है। इस कार्य को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए वकीलों का सहयोग आवश्यक है।
जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि गरीब व पिछड़े वर्गों को सहज न्याय दिलाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नियम-कानून तैयार कर विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसका दायित्व न्याय पालिका को सौंपा गया है। वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी इसके अध्यक्ष और अन्य न्यायिक अधिकारी सदस्य नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे अभियान की सफलता की महत्वपूर्ण कड़ी अधिवक्ता हैं, जिन्हें वंचित और अभावग्रस्त लोगों को न्याय दिलाने का दायित्व सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि विधिक सेवा में संलग्न अधिवक्ता पूर्व से ज्यादा जागरूक हुए हैं, यही कारण है कि विधिक सेवा के माध्यम से वे पूर्व वर्ष की तुलना में अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण करने में सक्षम हुए हैं। कार्यशाला को जस्टिस सुनील कुमार सिन्हा सहित अन्य ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर महाधिवक्ता देवराज सुराना, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वीजी तामस्कर, सीनियर एडवोकेट डॉ. निर्मल कुमार शुक्ला, पीकेसी तिवारी, ओमप्रकाश साहू सहित वकील उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन एवं आभार प्रदर्शन विधिक सेवा सहायता समिति के सचिव एएल जोशी ने किया।

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