केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे नेशनल कमीशन फार हायर एजुकेशन बिल २०१० के विरोध में देशभर के वकील लामबंद होने लगे हैं। इस बिल को लेकर भारतीय विधिक परिषद के बैनर तले छत्तीसगढ़ प्रदेश के २१ हजार वकीलों ने लाल फीता लगाकर विरोध जताया। देशभर के १२ लाख वकीलों ने इस बिल की तीखी भर्त्सना की है।
वकीलों को इस बात का गुस्सा है कि बिल के जरिए केंद्र सरकार विदेशी वकीलों को भारतीय अदालत में पैरवी करने की छूट देने की कोशिश कर रही है। बिल के विरोध में सोमवार को वकीलों का गुस्सा फूटा। प्रदेश के २१ हजार वकीलों ने रेड रिबन लगाकर बिल का विरोध किया। हालांकि, वकीलों के इस विरोध से अदालत का कामकाज प्रभावित नहीं हुआ, लेकिन वकील भारी गुस्से में दिखे। चेहरे में उनकी प्रतिक्रिया साफ तौर पर देखी जा सकती थी। कामकाज के दौरान बार कौंसिल के पदाधिकारियों के अलावा जिला व हाईकोर्ट बार के पदाधिकारी व वकीलों के बीच बिल को लेकर पूरे समय बहस छिड़ी रही। मालूम हो कि केंद्र सरकार विधि के अलावा कृषि व शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के मद्देनजर इंटरनेशनल कमीशन फार हायर एजुकेशन एंड रिसर्च बिल ला रही है। इस सिलसिले में पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में भारतीय विधिक परिषद की बैठक हुई थी। इसमें देशभर के चुनिंदा वकीलों ने शिरकत की थी।
भारतीय विधिक परिषद ने उक्त बिल को अधिवक्ता अधिनियम १९६१ के प्रावधानों के विपरीत करार देते हुए इसका हर स्तर पर विरोध करने का निर्णय लिया था। परिषद ने संसद भवन में भी अपनी आवाज उठाने का फैसला किया है। परिषद ने उक्त बिल को लीगल एजुकेशन नियम २००८ के तहत विधि शिक्षा के क्षेत्र में परिषद द्वारा किए गए चरणबद्ध कार्य के प्रति कुठाराघात माना है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तैयार इस बिल को विधि शिक्षा के क्षेत्र में "काला कानून" की संज्ञा दी गई है। वकीलों का कहना है कि केंद्र सरकार इस बिल के जरिए विदेशी वकीलों के लिए भारतीय अदालत में वकालत करने का रास्ता साफ करने की कोशिश कर रही है।