Mar 25, 2010

निचली अदालत ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा : हत्यारे की अपील खारिज

बिलासपुर हाईकोर्ट ने पत्नी व बच्चे के हत्यारे की अपील को खारिज करते हुए आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। आरोपी प्रेम विवाह किया था और नौ माह से पहले बच्चा होने पर पत्नी व अपनी संतान को मार डाला था।

रायगढ़ जिले के पुसौर थाना क्षेत्र के ग्राम तेतला निवासी विनोदकुमार ने कजली नाम की युवती से प्रेम विवाह किया था। शादी के ९ माह पहले ही कजली ने एक बच्चे को जन्म दिया। इस पर विनोद की मां व परिजनों ने शंका करते हुए उसका छठी कार्यक्रम करने से इनकार कर दिया। इससे नाराज होकर कजली अपने मायके चली गई। इस बीच वह मायके में ही रह रही थी कि १८ दिसंबर २००१ को आरोपी विनोद ससुराल पहुंचा। वहां उसने अपने सास-ससुर को पत्नी को घर वापस ले जाने के लिए मनाया और उसी दिन बच्चे व पत्नी को घर ले जाने के लिए निकला। रास्ते में जंगल में उसने पत्नी कजली व तीन माह के बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी। घटना के बाद आरोपी फरार हो गया।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ जुर्म दर्ज कर उसकी तलाश शुरू की। कुछ दिन बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने न्यायालय में चालान पेश किया। जिला सत्र न्यायालय ने १८ जुलाई २००३ को आरोपी को पत्नी व बच्चे की हत्या करने के लिए अलग-अलग सजा सुनाई। इसके तहत उसे आजीवन कारावास व २ हजार रूपए अर्थदंड दिया गया। राशि जमा नहीं करने पर छह माह अतिरिक्त कारावास का प्रावधान भी किया गया। दोनों सजा साथ-साथ चलाने का आदेश दिया गया। इस फैसले के खिलाप आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जस्टिस टीपी शर्मा व जस्टिस आरएल झंवर ने आरोपी की सजा को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया है।

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