Mar 25, 2010

प्रोफेसर डॉ. अरूण सिंगरौल सहित अन्य दैवेभो कर्मियों की याचिका खारिज

बिलासपुर हाईकोर्ट ने गुरू घासीदास यूनिवर्सिटी के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की याचिका को खारिज कर दिया है। उन्हें कार्यपरिषद की बैठक व निर्णय के बाद फिर से याचिका दायर करने की छूट दी है। विदित हो कि गुरू घासीदास यूनिवर्सिटी के १०८ दैनिक वेतनभोगी कर्मियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। डॉ. अरूण सिंगरौल सहित अन्य कर्मचारियों ने मामले में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। इसमें कहा गया कि यूनिवर्सिटी ने राज्य शासन के आदेश पर १०९ दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश दिया था। याचिका में कहा गया कि उन्हें कार्यपरिषद की बैठक में अनुमोदन के बाद ही नियमित करने का आदेश दिया गया था। इस बीच उन्हें नियमित वेतनमान के साथ ही केंद्र शासन से वेतन के रूप में अनुदान राशि भी दी जा रही थी। यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा मिलने के बाद यहां कुलपति के पद पर डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी की नियुक्ति हुई। उन्होंने नियमितीकरण आदेश को अवैध बताते हुए कर्मचारियों का वेतनमान कम कर दिया।

  • एक कर्मचारी पर जताई थी आपत्ति

कर्मचारियों ने अपनी याचिका में कहा था कि यूनिवर्सिटी ने उनके साथ पक्षपात किया है। पूर्व में यूनिवर्सिटी ने १०९ कर्मचारियों को नियमित किया था, लेकिन वर्तमान में सिर्फ एक कर्मचारी को नियमित किया गया है और छठवां वेतनमान भी दिया जा रहा है, जबकि याचिकाकर्ता १०८ कर्मचारियों का नियमितीकरण आदेश निरस्त कर दिया गया है, जो नियम के विपरीत है।
याचिका में कहा गया कि राज्य शासन ने १९९७ तक के सभी दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नियमित करने का आदेश दिया था। उक्त आदेश गुरू घासीदास विवि को भी मिला था। इस आदेश पर अमल करते हुए यूनिवर्सिटी ने नियमितीकरण के लिए छानबीन समिति बनाई थी। समिति की अनुशंसा पर ही कार्यपरिषद ने नियमित करने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन कुलपति ने उन्हें बिना कोई सुनवाई का अवसर दिए नियमितीकरण आदेश निरस्त करने के बजाय वेतनमान कम कर दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र शासन, राज्य शासन सहित यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस बीच कई बार मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत कार्यपरिषद में पुनर्विचार करने के लिए अपील प्रस्तुत की, जिसे कुलपति ने कार्यपरिषद की अगली बैठक में रखने का हवाला दिया है।

मंगलवार को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान यूनिवर्सिटी की तरफ से बताया गया कि कर्मचारियों ने कार्यपरिषद में पुनर्विचार के लिए अपील प्रस्तुत की है। इसकी प्रति हाईकोर्ट में भी प्रस्तुत की गई। इस पर कोर्ट ने आपत्ति करते हुए कहा कि एक साथ दो जगह मामला नहीं चल सकता। लिहाजा याचिका खारिज की जाती है। कर्मचारी अगर चाहें, तो कार्यपरिषद की बैठक के बाद फिर से याचिका दायर कर सकते हैं।

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