छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के गवर्नमेंट कॉलेज चांपा में पदस्थ हिन्दी ब्लॉगर प्रोफेसर अश्विनी केशरवानी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि राज्य शासन ने परिवार कल्याण योजना के तहत कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए २९ जनवरी १९७९ को सर्कुलर जारी किया था। इसके तहत शासकीय कर्मचारियों को एक या दो बच्चों पर दो वेतनवृद्धि और तीन बच्चे होने पर एक वेतनवृद्धि देने का प्रावधान रखा गया। यह प्रावधान अब बदल गया है। शासन ने एक संशोधित अधिसूचना जारी की है। इसके तहत एक बच्चे पर दो वेतनवृद्धि और दो बच्चों पर एक वेतनवृद्धि देने का प्रावधान है।
किसी भी कर्मचारी को एक बार वेतनवृद्धि का लाभ मिल गया है, तो उसे फिर से वापस लेना अवैधानिक है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक प्रोफेसर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता ने तीन बच्चे होने के बाद फैमिली प्लानिंग कराई। इसके तहत राज्य शासन ने उन्हें २५ अगस्त १९८८ को एडवांस में एक वेतनवृद्धि देने का आदेश दिया। यह लाभ उन्हें प्रोत्साहन के रूप में विशेष वेतन देने का आदेश था। इसी बीच १ जनवरी १९९६ को याचिकाकर्ता प्रोफेसर का वेतन पुनरीक्षण किया गया। इस दौरान उन्हें पूर्व में दी गई वेतनवृद्धि के आदेश को वापस ले लिया गया। प्रो. केशरवानी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका में कहा गया था कि प्रावधान के अनुसार किसी कर्मचारी को दिए गए लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। वेतनवृद्धि वापस लेने का आदेश अवैधानिक है। याचिका में यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता को यह लाभ फैमिली प्लानिंग के तहत दिया गया है, लेकिन इसे वापस लेने के आदेश से शासन की योजना का उल्लंघन हो रहा है। प्रकरण में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए आदेश का भी हवाला दिया गया।
मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना है कि याचिकाकर्ता को वेतन पुनरीक्षण के बाद इंक्रीमेंट देने का आदेश लेना अवैधानिक है। उन्हें वेतनवृद्धि का लाभ शासन की योजना के तहत दिया गया था, जो विशेष वेतन के रूप में देय था। शासन के आदेश को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को बकाया एरियर्स सहित सभी देयक राशि भुगतान करने का आदेश दिया है। प्रकरण में याचिकाकर्ता की तरफ से वकील आरके केशरवानी ने पैरवी की।
प्रोफेसर अश्विनी केशरवानी जी की आनलाईन कृति शिवरीनारायण देवालय एवं परंपराएं
प्रोफेसर अश्विनी केशरवानी जी की आनलाईन कृति शिवरीनारायण देवालय एवं परंपराएं