छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मलेरिया विभाग में हुए बहुचर्चित घोटाले की जांच रिपोर्ट आखिरकार लोक आयोग के पास पहुंच गई है। इससे दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।मलेरिया विभाग में हुए घोटाले की जांच अपर कलेक्टर टीके वर्मा ने की है। उन्होंने जांच रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर को प्रेषित कर दी थी। ध्यान रहे कि वर्ष २००३ में जिले के ८ ब्लॉकों में डीडीटी का छिड़काव होना था, लेकिन अफसरों की मिलीभगत के कारण कागजों पर ही संवेदनशील क्षेत्रों में डीडीटी का छिड़काव हो गया। इसके अलावा फर्जी मस्टररोल बनाकर लाखों रुपए का भुगतान भी किया गया था। इसकी शिकायत मिलने पर तत्कालीन कलेक्टर ने मामले की जांच का जिम्मा तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर धनंजय देवांगन को सौंपा था।
श्री देवांगन के कार्यकाल में मलेरिया अधिकारी, बीएमओ सहित शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज हुए थे। जांच में एक साल से अधिक समय लग गया, लेकिन रिपोर्ट शासन को प्रेषित नहीं की जा सकी थी। इसे लेकर एक संस्था ने राज्य शासन से शिकायत की थी। इसके बाद तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट कार्यमुक्त होने से पूर्व शासन को भेज दी। मलेरिया विभाग में हुए घोटाले से संबंधित एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई। हाईकोर्ट के निर्देश पर लोक आयोग ने मामले की जांच शुरू की है। पिछले दिनों राज्य मलेरिया अधिकारी डॉ. जयप्रकाश व उप राज्य मलेरिया अधिकारी डॉ. धागमकर जांच के लिए नेहरू नगर स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय पहुंचे। जांच अधिकारियों ने बंद कमरे में एक-एक कर विकासखंड चिकित्सा अधिकारियों से बयान लिए। इसके अलावा फर्जी तरीके से तैयार किए गए रिकार्डों व दस्तावेजों को जब्त किया गया।
८ बीएमओ के बयान लेने के बाद तत्कालीन मलेरिया अधिकारी डॉ. एसके तिवारी से पूछताछ हुई थी। उन्होंने पूर्व में भी घोटालों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी शासन को दी है। साथ ही सिम्स में मलेरिया से ४८ लोगों की मौत का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया था। इस मामले में जांच का जिम्मा अपर कलेक्टर टीके वर्मा को सौंपा गया। उन्होंने जांच रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर को सौंप दी। इसमें मलेरिया से मौत होने के अलावा अनियमितताएं पकड़ी गई हैं। जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन ने लोक आयोग को प्रेषित कर दी है। डिप्टी कलेक्टर प्रियंका थवाईत ने बताया कि जांच के बाद रिपोर्ट लोक आयोग को भेजी गई है। आयोग की अनुशंसा पर आगे की कार्रवाई होगी।