Mar 28, 2010

आरक्षकों के चयन पर रोक : प्रतीक्षा सूची के आवेदकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया स्थगन

बिलासपुर हाईकोर्ट ने रायपुर की तरह बिलासपुर, कोरबा व जशपुर जिले में भी आरक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता दुष्यंत सिंह सोनवानी सहित अन्य ने अपनी याचिकाओं में कहा है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने 2008 में प्रदेश के विभिन्न जिलों में आरक्षक भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसमें चयनित आवेदकों को संबंधित जिलों में नियुक्ति भी दी गई। इसके साथ ही व्यापमं ने प्रतीक्षा सूची भी जारी की थी। इस सूची को एक साल के लिए वैध माना गया था। बाद में पद रिक्त होने पर प्रतीक्षा सूची में शामिल आवेदकों को नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने रायपुर जिले से परीक्षा दी थी। रायपुर एसपी ने प्रतीक्षा सूची में शामिल आवेदकों को 2 जून 2009 को नियुक्ति आदेश जारी किया और उन्हें 8 जून को कार्यालय में सभी दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने कहा, लेकिन जिस दिन आवेदकों को बुलाया गया था, उसी दिन सूचना पटल पर नियुक्ति प्रक्रिया निरस्त होने की सूचना चस्पा कर दी गई।

अचानक नियुक्ति निरस्त होने से घबराए आवेदकों ने जानकारी मांगी, तो उन्हें पता चला कि अब प्रतीक्षा सूची निरस्त कर दी गई और नए सिरे से भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। इससे परेशान होकर वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान रायपुर एसपी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस बीच कोर्ट ने चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इधर, बिलासपुर के दिव्यकिरण खलखो, कोरबा के दिलीप रात्रे व जशपुर के जन्मेजय सिंह ने भी हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर दीं। मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। शासन का जवाब आने के बाद 22 मार्च को फिर से प्रकरण की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि प्रदेश में आरक्षकों के कितने पद रिक्त हैं। शासन ने यह जानकारी देने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर अगली सुनवाई के लिए 13 अप्रैल की तिथि तय की है। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट के ध्यान में यह बात लाया कि बिलासपुर, कोरबा व जशपुर में आरक्षकों की चयन प्रक्रिया जारी है। इस पर हाईकोर्ट ने आगामी आदेश तक चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी। मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से वकील जितेंद्र पाली, मतीन सिद्दीकी व वरुण शर्मा ने पैरवी की।

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