मुख्य परीक्षा रोक का आदेश यथावत
बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में पीएससी 2008 की याचिका को खारिज करते हुए आयु सीमा के निर्धारण को सही ठहराया है। पीएससी ने स्थानीय प्रतियोगियों को आयु सीमा में 7 साल की छूट दी है, जिसे डिवीजन बेंच ने वैध माना है। दूसरे राज्यों के प्रतियोगियों ने इस निर्णय को भेदभावपूर्ण बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
पीएससी 2008 की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं। सिंगल बेंच ने प्रकरण में नियमों को चुनौती देने का हवाला देते हुए याचिका को डिवीजन बेंच में रिफर कर दिया था। इस प्रकरण की सुनवाई जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा व जस्टिस रंगनाथ चंद्राकर की बेंच में चल रही थी। डिवीजन बेंच ने करीब दो माह पहले मामले में फैसला सुरक्षित रखा लिया था। हाईकोर्ट ने इस बहुप्रतीक्षित प्रकरण में गुरुवार को आदेश जारी कर दिया है। कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा निर्धारित आयु सीमा को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।
विदित हो कि उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद निवासी हेमानंदमणि त्रिपाठी सहित अन्य ने आयु सीमा निर्धारण के प्रावधान को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया है कि पीएससी ने राज्य के बाहरी प्रतियोगियों को आयु सीमा में छूट नहीं दी है, जबकि स्थानीय प्रतियोगियों को छूट दी गई है। प्रारंभिक परीक्षा में चयनित होने के बाद भी उन्हें आयु के कारण मुख्य परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। पीएससी के प्रावधान के अनुसार आयु सीमा 30 वर्ष निर्धारित है, लेकिन स्थानीय प्रतियोगियों को आयु सीमा में 7 वर्ष छूट दी गई है। शासन व पीएससी के इस निर्णय से संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन हो रहा है।
पीएससी व शासन ने याचिकाकर्ताओं द्वारा आयु सीमा के निर्धारण पर आपत्ति करने को भी गलत ठहराया है। पीएससी की तरफ से कहा गया कि प्रदेश के स्थानीय प्रतियोगियों को प्राथमिकता देते हुए आयु सीमा 45 वर्ष नियत की गई है। राज्य शासन को अपने राज्य के मूल निवासियों के हित में निर्णय लेने का अधिकार है। साथ ही पीएससी परीक्षा के लिए नियम बनाने के लिए राज्य शासन को अधिकार प्राप्त है। वहीं चयनित प्रतियोगी चंद्रभान सिंह जादोन व मिथलेश ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके वकील मतीन सिद्घिकी का कहना था कि पीएससी ने विज्ञापन जारी करते समय ही यह स्पष्ट कर दिया था कि आयु सीमा में छूट सिर्फ राज्य के मूल निवासियों को ही दिया जाएगा। अब पीएससी ने परीक्षा लेने के बाद परिणाम भी जारी कर दिया है। ऐसे में रिजल्ट आने के बाद याचिका दायर करना उचित नहीं है।