छत्तीसगढ के कोरबा निवासी राज अग्रवाल ने सितंबर 2007 में वाल्वो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से 14 पहियों वाले चार मल्टी एक्सल ट्रक फाइनेंस के माध्यम से खरीदे थे। हरेक ट्रक की कीमत 62 लाख रुपए थी। कंपनी ने हरेक वाहन पर दो लाख किलोमीटर या फिर पांच हजार घंटे की वारंटी दी थी। खरीदने के कुछ महीनों बाद चारों वाहनों में गड़बड़ी आ गई, जिससे उनका पिकअप और लोडिंग क्षमता कम हो गई। श्री अग्रवाल ने कंपनी के सर्विस सेंटर में गड़बड़ी की जानकारी देते हुए इसे ठीक करने को कहा। सर्विस सेंटर के कर्मचारियों ने जांच के बाद हरेक वाहन में 10-10 लाख रुपए का खर्च बताया। श्री अग्रवाल ने खरीदी के कागजात प्रस्तुत कर वाहन वारंटी अवधि में होने की जानकारी दी लेकिन सेंटर के अधिकारी-कर्मचारियों ने वाहनों में खरीदी का कारण मिलावटी डीजल होने की जानकारी देते हुए सुधारने से इनकार कर दिया। राज अग्रवाल ने इस संदर्भ में उस पेट्रोल पंप संचालक को पत्र लिखा, जिससे वह वाहनों के लिए डीजल लेता था। उसने कंपनी द्वारा मिलावटी डीजल देने के आरोपों की जानकारी देते हुए इस संबंध में जवाब मांगा लेकिन पेट्रोल पंप संचालक ने कोई जवाब नहीं दिया।
परेशान होकर राज अग्रवाल ने उपभोक्ता फोरम में वकील समीर सिंह के माध्यम से मामला प्रस्तुत कर कहा कि निर्धारित अवधि में वाहनों में गड़बड़ी के लिए कंपनी और पेट्रोल पंप संचालक जिम्मेदार हैं। वाहन बिगड़ने से उसे भारी नुकसान हो रहा है और उसकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है, इसलिए उसे हरेक वाहन के हिसाब से 25-25 लाख, कुल एक करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति दी जाए। फोरम ने सुनवाई के बाद वोल्वो इंडिया के जनरल मैनेजर, क्षेत्रीय प्रबंधक व पेट्रोल पंप संचालक सीतानंद अग्रवाल को नोटिस जारी किया। छत्तीसगढ राज्य उपभोक्ता फोरम ने ट्रक विक्रेता कंपनी व पेट्रोल पंप संचालक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। एक करोड़ रुपए के दावे पर फोरम ने प्रतिवादियों से जवाब-तलब किया है।