सम्मान से बढ़ी जवाबदारी: दुबे
ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर सम्मान प्राप्त अधिवक्ता विजय कुमार दुबे का कहना है कि इस सम्मान से उनकी जवाबदारी बढ़ गई है। इस संघर्षपूर्ण यात्रा में सभी ने उनका सहयोग दिया है।
) ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर सम्मान मिलने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं?
)) सम्मान मिलने के बाद लग रहा है कि मेरी जवाबदारी बढ़ गर्इ्र है। इस सम्मान के बाद मेरा दायित्व भी बढ़ा है। मुझ पर अपने को हर कदम पर यह साबित करने का भार भी आ गया है कि मैं न्यायिक क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य अपनी पूरी ताकत से लगातार करता रहूं ।
) आपकी अब तक की यात्रा कैसी रही?
)) यहां तक की यात्रा काफी संघर्षपूर्ण रही। जांजगीर तहसील के पास जर्वे नामक गांव में 22 अपै्रल 1950 को जन्म हुआ। मिडिल स्कूल तक की शिक्षा गांव में प्राप्त की, फिर जांजगीर से बीएससी पास करने के बाद राजेन्द्र कुमार सिंह उमा शाला अकलतरा में डेढ़ वर्ष अध्यापन किया। स्वास्थ्य के कारण नौकरी छोड़ दी और खेती और छोटा-मोटा व्यवसाय गांव में करते हुए प्रथम श्रेणी में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। अक्टूबर 1974 में जांजगीर तहसील न्यायालय में प्रेक्टिस प्रारंभ किया। 5 मई 1975 को स्टेट बार कॉउंसिल जबलपुर में अधिवक्ता के रूप में पंजीयन हुआ, फिर जांजगीर तहसील कोर्ट और जिला न्यायालय बिलापुर में प्रेक्टिस करता रहा।
) आपको विधि क्षेत्र का पुरस्कार किस आधार पर मिला?
)) विधि क्षेत्र में 1974-75 से मैंने प्रारंभ की। इस बीच मेरे पास लगभग सभी प्रकार के प्रकरण रहे। सिविल, क्रिमिनल, रेवेन्यू, लेबर, एक्सीडेंट क्लेम, बैंक बीमा आदि के लगभग सभी प्रकार के काम मेरे पास रहे। मामलों में मैने और मेरे सहयोगी जूनियर अधिवक्ताओं ने काफी मेहनत की तथा हमारे परिश्रम ने हमें नाम और प्रतिष्ठा दी। गरीब-अमीर हर वर्ग के लोगों के मामलों में पूरी संवेदनशीलता के साथ पैरवी की, इसलिए हमारे कार्याें का मूल्यांकन हुआ।
) क्या सिर्फ प्रेक्टिस को मानदंड बनाया गया?
)) शायद समग्र मूल्यांकन किया गया होगा। मैंने विधि के क्षेत्र में हिन्दी में किताबें लिखीं, जिसमें व्यवहारवाद के प्रारूप भारतीय परिसीमा अधिनियम नजूल लैंड, छग भू- राजस्व संहिता, क्रिमिनल डाइजेस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ किताबें प्रकाशनाधीन हैं। छग राजस्व निर्णय एवं दुर्घटना मुआवजा, प्रकरण नामक पत्रिका के संपादक मंडल में भी काम कर रहा हूं। विधि साहित्य का लेखन निरंतर कर रहा हूॅ ताकि हिन्दी को सम्मृद्ध करने में अपना योगदान दे सकूं।
) विधि क्षेत्र में प्रेक्टिस और लेखन के अलावा भी आपने कुछ किया है?
)) वर्ष 1988 में मोटर यान अधिनियम का जो संशोधन व्यापक रूप से हुआ इसमें भूतल परिवहन मंत्रालय को संशोधन के लिए मैंने अनेकों सुझाव और प्रेरणा दी थी। 1994 के संशोधन के समय भी सुझाव दिए थे। म.प्र. भू -राजस्व संहिता 1959 की धारा 178 में 1977-78 में संशोधन कर जो परंतुक जोड़ा गया इसके लिए मैंने सुझाव दिए थे। दखल रहित भूमि पर खड़े पेड़ों पर अधिकार प्रदान किए जाने संबंधी मेरे सुझाओं पर शासन ने अमल किया था और अधिकार प्रदान किए। हाल ही में मैंने छत्तीसगढ़ शासन को जल संरक्षण के लिए भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों में व्यापक फेर बदल करने के सुझाव प्रेषित किए हैं, तालाबों के संरक्षण के लिए विधि में परिवर्तन का सुझाव दिया गया।
) विधिक सहायता एवं साक्षरता संबंधी कोई कार्य?
)) गरीबों को नि:शुल्क विधिक सहायता के लिए मै अपने स्तर पर हमेशा काम करते रहा हूं। लोक अदालत के गठन संबंधी सुझावों में भी मैंने व्यापक पहल की थी। म.प्र. विधिक कांग्रेस प्रकोष्ठ के माध्यम से 1981-82 में इसके लिए प्रारूप तैयार किया गया था। जिसमें मैं एक सदस्य था।
साभार हरिभूमि, बिलासपुर.