बिलासपुर जिले में 1991-92 से 1994-95 के दौरान साक्षरता अभियान की किताब छपाई में गड़बड़ी के मामले में बिलासपुर में कलेक्टर रह चुके तीन आईएसएस अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने मामला दर्ज कर लिया है। इनमें दो अधिकारी मध्यप्रदेश में और एक अधिकारी एमके राउत छत्तीसगढ़ में प्रमुख सचिव हैं।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में इन अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के अनुसार यह मामला साक्षरता अभियान से जुड़ा हुआ है। उस समय भारत ज्ञान-विज्ञान समिति के माध्यम से यह संचालित होता था। समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होते थे। 1991-92 से 1994-95 तक बिलासपुर में कलेक्टर पद पर एमके राउत, के. सुरेश और इंद्रनील दाणी पदस्थ थे। भारत ज्ञान-विज्ञान समिति ने साक्षरता अभियान के लिए किताब छापने के लिए निविदा जारी किया था। निविदा में एक शर्त थी कि निविदाकर्ता समय पर किताबें छापकर नहीं देता तो उनसे पेनाल्टी वसूल किया जाएगा और उनकी अमानत राशि भी राजसात कर ली जाएगी। समिति ने किताबें छापने के लिए न्यूनतम दर वाले निविदाकर्ता को दी, जिसने किताबें छापकर नहीं दी। इस पर निविदा रद्द कर दी गई, लेकिन उनसे 15 प्रतिशत पेनाल्टी की वसूली नहीं की गई और डिफाल्टर घोषित हो जाने पर उनसे अंतर की राशि भी नहीं वसूल की गई।
इसी क्रम के न्यूनतम दर वाले निविदाकर्ता को किताब छापने का आदेश दे दिया गया। उसने भी किताबें छापकर नहीं दी। अधिकारियों ने उनसे भी न तो पेनाल्टी वसूली और न ही अंतर की राशि। इससे शासन को लाखों रुपए का चूना लगा। मामले की शिकायत होने के बाद तीनों अधिकारियों के खिलाफ जांच का फैसला लिया गया। मध्यप्रदेश के दोनों आईएएस अधिकारी के सुरेश और इंद्रनील दाणी को पूछताछ के लिए बुलाया गया। इनमें से श्री दाणी आज उपस्थित हुए, अन्य अधिकारी भी एक-दो दिन में अपना बयान दर्ज कराएंगे।