छत्तीसगढ में वर्ष 2008 में आयोजित सिविल जज की परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए दायर ट्रांसफर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल सहित 7 प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस केजी बालाकृष्णन, जस्टिस एके गांगुली, जस्टिस बीएस चौहान की बेंच ने नोटिस का जवाब देने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया है। धमतरी निवासी रश्मि नंदा ने पिछले साल आयोजित सिविल जज की परीक्षा दी थी। इंटरव्यू के बाद मिले नंबरों के आधार पर उन्हें वेटिंग लिस्ट में रखा गया। उन्होंने परीक्षा में चयनित हुए लोगों के संबंध में जानकारी ली तो पता चला कि इसमें कुछ आवेदक न्यायपालिका से जुड़े लोगों के रिश्तेदार हैं। उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत अपनी और कुछ अन्य परीक्षार्थियों की कापी निकलवाई और हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी की जानकारी देते हुए सबकी कापियां दोबारा जांचने की मांग की।
प्रकरण की हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसी बीच रश्मि नंदा ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर पिटीशन दायर कर कहा कि परीक्षा में जिन लोगों का चयन हुआ है, उनमें प्रदेश के विधि विभाग के अधिकारियों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों के रिश्तेदार और पहुंच वाले लोग भी शामिल हैं। इसलिए उसे न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। इसके मद्देनजर यह प्रकरण छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश को छोड़कर अन्य हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए स्थानांतरित किया जाए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर रजिस्ट्रार जनरल सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जिसमें सिविल जज परीक्षा के परीक्षार्थी भी शामिल हैं।